खबर में लगी हुई इस तस्वीर को ध्यान से देखिए यह काबुल के उस स्कूल की तस्वीर है जिसके बच्चे कुछ दिन पहले हुए बम विस्फोट में दर्दनाक मौत को नसीब हुए। कट्टरपंथ की कंटीली सोच की नीचता से पैबस्त इन बम धमाकों में 90 के करीब लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से तकरीबन 60 के करीब स्कूल जाने वाली लड़कियां थीं। दोपहर में स्कूल की छुट्टी के बाद घर जाते वक्त ही ये बम विस्फ़ोट हुआ था और तब स्कूल की लड़कियों की मौत हुई थी। तसवीर में स्कूल का एक कर्मचारी हमले में मारी गई लड़कियों के डेस्क पर फूल का गुलदस्ता रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है ।
कभी इन क्लास के तमाम डेस्कों पर बचपन की किलकरियां गुंजा करती थीं, बुर्के की बंदिशों से आगे बढ़कर चंद हिम्मतवर लड़कियों ने पढ़ने की ठानी थी मगर इंसानी हकूक के गुनहगारों ने कट्टरता के धमाकों से इनकी आवाज़ को बंद कर दिया।
हैरानी की बात थी कि 60 से ज्यादा स्कूल की लड़कियों की हत्या पर भी कथित सेकुलर लिबरल बुद्धिजीवी मौन रहे क्योंकि यहां आवाज उठाने पर उनके एजेंडे पर चोट लगती थी। बम विस्फोट इतना भयानक था कि धमाके के बाद बच्चियों के परिजनों को उनके शव तक नहीं मिल सके परिजनों ने कॉपी ,किताब, पेंसिल और जूते देखकर अपने बच्चों की पहचान की।
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