‘The Kashmir Files’ फिल्म के जरिये तीन दशक पहले घाटी में हुए कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार को जिस सच्चाई और साहस के साथ दुनिया के सामने लाया गया है वो काबिले तारीफ है. 1989-1990 के दौरान कश्मीरी पंडितों को दंगे की आग में झोंक दिया गया, उन्हें जबरन घाटी से निकाल दिया गया था. लेकिन अगर सोचिए कुछ लोग जो कश्मीर फाइल्स के रिलीज होने से इतने गुस्से में लाल हो रहे हैं. कश्मीरी पंडितों की त्रासदी को दिखाने वाली इस फिल्म पर इतना गुस्सा है तो जरा सोचिए कि अगर कहीं ‘The Bengal Files’ और ‘The Kerala Files’ आ गई तो इन लोगों को मुंह छिपाने के लिए भी जगह नहीं मिलेगी.
कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ वो वाकई मानवता के खिलाफ अब तक के सबसे भीषण अपराधों में से एक है। 90 में कश्मीर में हिंदुओं का ऐसा नरसंहार हुआ जिसे हम पर्दे पर देखकर गुस्से से भर जाते हैं. ये बीते कल की बात जरुर है लेकिन ये जख्म उन परिवारों के लिए एक नासूर बन गया है जिनपर ये बीती है. लेकिन आज केरल और बंगाल भी ठीक उसी राह पर है जहां हिंदू होना मानो अभिशाप है. बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजों से ही बंगाल में हिंसा का वह दौर चला जो किसी समय कश्मीर में चला था। हिंदुओं को TMC के मुस्लिम कार्यकर्ताओं ने अपना निशाना बया उनके घरों में घुसकर उनसे मारपीट की, बहन बेटियों से बलात्कार और हत्या की गई और ये सब ममता बनर्जी का मौन व्रत रखकर देख रही थी. नतीजों के बाद सैकड़ों महिलाओं का बलात्कार, 100 से ज्यादा बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमला जिन्होंने चुनाव में बीजेपी को वोट दिया था उन्हें TMC के नेता खुलेआम बंगाल छोड़ने की धमकी दे रहे थे. ऐसी हालत में कितने ही हिंदुओं को दूसरे राज्यों में शरण लेनी पड़ी, खुले आसमान के नीचे रात गुजारनी पड़ी. हालात दिन बन दिन बदतर होते जा रहे थे जिसके बाद राज्यपाल से लेकर कोर्ट तक को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा था. ममता बनर्जी और उनकी पार्टी की नृशंसता और नरसंहार का नंगा नाच पूरी दुनिया ने देखा. रोहिंग्या मुसलमानों, अवैध बांग्लादेशियों, तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं गुंडों और राष्ट्र विरोधी तत्वों के साथ मिलकर जिस तरीके से हिंदुओं के साथ अत्याचार किया उसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया।
वहीं केरल के हालात भी बंगाल से ज्यादा अलग नहीं है. हाल के दिनों में जिस से तरह हिंदु, बीजेपी और RSS के कार्यकर्ताओं की हत्याएं हुई हैं वैसी स्थिति में केरल में हिन्दू होना गुनाह बन गया है. केरल इस बात का पर्याय बन गया है कि जहां हिन्दू रहेगा, वहीं लोकतंत्र बचेगा और अब केरल में उतने हिन्दू नहीं बचे. सत्ता के नशे में चूर वामपंथी विजयन सरकार हिंदु विरोधियों को शह दे रही है। वामपंथी, कट्टरपंथी और मिशनरी मिल कर सनातन धर्म के खिलाफ खड़े हैं और इन सबके बीच हिन्दू बेचारे पिस रहे हैं। केरल में रोजाना किसी इस्लामिक कट्टरपंथी द्वारा आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या कर दी जाती है। पुलिस मामले की लीपापोती कर देती है। सूबे की विजयन सरकार को अपनी कुर्सी बचानी है तो भला वोट देने वाली जनता को नाखुश कैसे करेगी. वैसे देखा जाए तो सरकार के लिए एक-आधे हिन्दू मर भी जाएं तो उन्हें क्या फर्क पड़ता है. हां लेकिन सोये हुए हिन्दूओं को ये समझना होगा कि चाहे वो बंगाल हो या केरल हर रोज हिंदुओं पर जिस तरह से अत्याचार हो रहे हैं कहीं ये कश्मीर बनने की शुरुआत तो नहीं है ?
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