बड़ी खबर केरल से है…!
केरल के देवीकुलम विधानसभा क्षेत्र के विधायक सीपीएम के ए.राजा की विधायकी केरल हाईकोर्ट ने निरस्त कर दी है।
कारण ये कि ए. राजा कंवर्टेड ईसाई है और देवीकुलम सीट एससी रिजर्व सीट है जहाँ से ये विधायक बना था।
केरल हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि,
“ए.राजा केरल के दलित हिंदू परायण समुदाय से ताल्लुक नहीं रखते हैं। वह धर्म बदलकर ईसाई बन गए हैं। ऐसे में ए.राजा आरक्षित देवीकुलम सीट से विधायक चुने जाने के योग्य नहीं हैं।ईसाई धर्म अपनाना लेने के बाद उन्हें हिंदू धर्म की जाति व्यवस्था लागू नहीं होती।”
अभी तक केवल आम लोगों के सम्बंध में ऐसी एक, दो न्यूज पढ़ने को मिलती थी.. कुछ दिन पहले केरल हाईकोर्ट का इसी से संबंधित निर्णय खूब चला था सोशल मीडिया में कि धर्मांतरित दलित एससी रिजर्वेशन का लाभ नहीं ले पाएंगे लेकिन आज इतने बड़े लेवल पे फैसला देखने को भी मिल गया। पर पूर्व में भी केरल हाईकोर्ट में इस तरह का फैसला दिया था जिसमें 2009 के मेवलीकरा लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार कोंडाकुन्नी सुरेश की भी सदस्यता निरस्त कर दी थी परंतु जिसे सुप्रीम कोर्ट में बदल दिया था क्योंकि कोंडाकुन्नी सुरेश में अपने दलील में कहा था कि वह भले ही इसाई धर्म पैदा हुए हो परंतु 16 साल की उम्र में लोगे हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया था और अपनी जाति की सभी पर्व और परंपराएं मानते हैं। और इसके पूर्व में भी उनके जाति में उन्हें भारी मतों से जिताया है क्योंकि उनका जाति भी उन्हें अपना मानता है।
अब इधर के लेफ्ट विद्वान लोग जो कहते है कि ‘धर्म बदलने से जात नहीं बदलती’ वे केरल हाईकोर्ट पे धावा बोल सकते है। वैसे लोग जो जय भीम में हैं या अंबेडकर वाद की राजनीति करते हैं उनका क्या होगा चाहे मिशनरी हो या इस्लामिक संगठन जो धर्मांतरण का कार्य करते हैं और लोगों को बतलाते हैं कि धर्म बदलने से जाति नहीं बदलती उससे जरूर कुठाराघात होगा और चोट पहुंचेगा।
अब ऐसे ही फैसले की बारी एससी से एसटी में भी होने की है। आदिवासी समाज में भी ऐसे बहुत सारे उम्मीदवार हैं जो इसाई धर्म को मानते हैं और आदिवासी सीटों पर चुनाव जीतते हैं चाहे वह उड़ीसा झारखंड और छत्तीसगढ़ हो ऐसी जगहों पर उनका बोलबाला है केरल हाईकोर्ट के निर्णय आने के बाद उम्मीद है उन पर भी जल्दी बुलडोजर चले।
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