दुनिया के सनकी शासकों में भी , उत्तर कोरिया के प्रशासक किम जोंग उन का अपना अलग ही स्वैग है। पट्ठा कभी भी मर जाता है ,कभी भी ज़िंदा हो जाता है ,कभी जापान दक्षिण कोरिया को हड़का देता तो कभी अमेरिका को घुड़की दे देता है। अपनी जेब में सौ पचास परमाणु बम रखने वाला किम जोंग आज दुनिया का एक अकेला ऐसा शासक है जिसने तमाम वैश्विक नियम कायदे को अपने ठेंगे पर रखा हुआ है।

तो इन मुटल्लू भाई साब ने इस कोरोना काल में भी जो किया वो दूसरा सोच भी नहीं सकता। जैसे ही खबर लगी कि दो कोरोना पीड़ित ऐसे मिले हैं जिनसे कोरोना के फैलने के खतरे का आभास था जोंग ने अपनी आदत के मुताबिक़ उन्हें वेंटिलेटर और प्लाज़्मा न मुहैया कराते हुए सीधा जैसे ही खबर लगी कि दो कोरोना पीड़ित ऐसे मिले हैं जिनसे कोरोना के फैलने के खतरे का आभास था जोंग ने अपनी आदत के मुताबिक़ उन्हें वेंटिलेटर और प्लाज़्मा न मुहैया कराते हुए सीधा फाँसी पर लटका दिया । अहमक और सनकी से इससे ज्यादा की उम्मीद भी क्या की जा सकती है।

लेकिन इसका दूसरा पहलू ये भी है कि , कोरोना महामारी के शुरूआती दिनों में मरकज़ और जमात में एक गहरी साजिश या जाहिलपन के कारण बहुत से मुगलों ने न सिर्फ खुद ही खुद को कोरोना बाँटा बल्कि ,यहाँ से निकल निकल पूरे भारत के मदरसों में घुस कर छिप कर बैठ गए।

जिन्हें जबरन पकड़ के ईलाज करवाने (गोली बम से मारने नहीं ) लेकर गए वे डाक्टर नर्स और पुलिस के साथ ही हैवानियत पर उतर आए। शुरू में खूब हो हंगामा हुआ फिर हमेशा की तरह मुगलपंथी में किसी ने सब बातों पर लीपापोती कर दी।

इन सबका जिम्मेदार ठहरा गया मौलाना साद , आज तक न तो कभी गिरफ्तार हुआ न ही न बातों के लिए उसे जिम्मेदार ठहराया गया। यही मरकज़ और यही साद यदि उलटी खोपड़ी वाले मुटल्लु के देश में करना तो करने की सोच भी लेते तो…….इनके बड़के भैया चीन ने तो ऊई गरों के तशरीफ़ पर ऐसी वैक्सीन लगाई है की वे अब तक उई उई करते फिर रहे हैं।

लिल्लाह ! ये हो क्या रहा है !

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