भारत के हज़ारों लाखों मेहनत कश लोगों द्वारा सरकार को दिए कर के रूप में दिए जा रहे हज़ारों करोड़ रुपयों को ये राज्य सरकारें किस तरह से मुग़ल अल्पसंख्यकों के नाम पर ,उनके मदरसों , उनके रोजगार ,शिक्षा आदि के बहाने से कैसे लुटा रही हैं ,इसका जीता जागता उदाहरण है तेलंगाना सरकार।

जो गर्व के साथ बता रही है कि किस तरह से पिछले छः वर्षों में उसने राज्य के मात्र चालीस लाख मुग़ल अल्पसंख्यकों के लिए , लगभग छः हज़ार करोड़ (यानि प्रति वर्ष 1000 और प्रति माह 100 करोड़ से थोड़ा कम ) इन पर खर्च कर चुकी है।

बार बार केंद्र सरकार से बेतहाशा पैसा और आर्थिक अनुदान माँगने वाले इस राज्य ने मिले पैसे से मुगलपरस्ती में अपने वोट बैंक के लिए देखिये क्या क्या और कितना किया है :-

शादी मुबारक नाम की योजना के तहत हर मुग़ल अल्पसंख्यक परिवार को सवा सवा लाख रुपए देकर , अब तक कुल एक हज़ार तेरह सौ करोड़ रुपए सिर्फ शादी समारोह के लिए दिए गए हैं। पहले ये राशि 50 ,000 थी जिसे बाद में बढ़ा कर एक लाख से भी अधिक कर दिया गया।

लगभग 1200 करोड़ रूपए से अधिक तो इन अल्पसंख्यकों की तालीम के लिए वजीफे के रूप में इन्हें दिया गया। उर्दू को दूसरी राजभाषा बना कर राज्य में उर्दू जानने वाले 66 अनुवादकों को , राज्य सरकार के दफ्तरों में उर्दू अधिकारी का राजपत्रित दर्ज़ा देकर नौकरी पर रखा गया है।

इसके अलावा विदेश में पढ़ने जाने के इच्छुक अल्पसंख्यक विद्यार्थियों में से प्रत्येक को 20 लाख रुपये का अनुदान मुहैय्या कराया गया है। और इस योजना में अब तक 300 करोड़ रूपए दिए जा चुके हैं।

अल्पसंख्यक कल्याण आयोग के मसीउल्लाह खान ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में लोक सेवा आयोग और न्यायिक सेवाओं की विशेष तैयारी के लिए भी सरकार ने प्रति वर्ष ऐसे 100 विद्यार्थियों के प्रशिक्षण का सारा खर्च उठाने की योजना चला रखी है।

तेलंगाना राज्य वक्फ बोर्ड को , मक्का मस्जिद के पुनर्निंमाण के लिए 8 .48 करोड़ रूपए खर्च किये गए हैं जबकि जामिया निजामिया विश्व विद्यालय के ऑडिटोरियम के निर्माण के लिए 14 .65 करोड़ रुपए खर्च किये गए हैं।

दरगाह जहांगीर पीर के विकास के लिए 50 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं तो वहीँ पहाड़ियाशरीफ स्थित दरगाह हज़रत बाबा शरफुद्दीन पर 9 .60 करोड़ रूपए और हज़रत सैय्यद खवाज़ा हसन पर 20 करोड़ रूपए खर्च किये गए हैं। और यतीमखाने के लिए भी 20 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई है।

इस्लामिक सांस्कृतिक संस्था केंद्र के निर्माण के लिए 40 करोड़ और अजमेर स्थित ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में रुबत निर्माण के लिए भी 5 करोड़ दिए गए हैं।

रोजगार देने के नाम पर , साढ़े पांच सौ से अधिक मारुती स्विफ्ट डिज़ायर खरीद कर चलाने के लिए चौबीस करोड़ चालीस लाख , ऑटो रिक्शा खरीदने के लिए 13 करोड़ रूपए और सिलाई मशीनों के लिए 9 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं।

प्रदेश में स्थित चर्च और मिशनरियों के लिए 9 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई है।

अब चलते चलते ये भी जान लें कि जनगणना 2011 के अनुसार राज्य में हिन्दुओं की जनसंख्या लगभग 30 लाख और मुग़ल अल्पसंख़्यकों की संख्या मात्र 4 लाख है। अब आप खुद ही अंदाज़ा लगाइये कि हमारी आपकी मेहनत की ,गाढ़े पसीने की कमाई का कहाँ ,कैसा और कितना उपयोग किया जा रहा है ?

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