मोदी सरकार द्वारा लागू हुए कृषि बिल पर लगातार सियासी संग्राम जारी है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, भीम आर्मी ,वामपंथी संगठन जैसे तमाम समूह किसानों के भेष में सड़कों पर हैं और कुछ भोले किसानों को भड़का कर अपनी खोई हुई सियासी जमीन को वापस पाने का प्रयास कर रहे हैं। कृषि कानून को लेकर जिस तरह से विपक्षी दलों द्वारा असमंजस फैलाया जा रहा है उससे जाहिर हो रहा है कि दाल में काला ही काला है। 


दरअसल पंजाब और हरियाणा के कुछ आढ़तिये जिन्हें मंडी का बिचौलिया कहा जाता है वह लोग चंद किसानों को भड़का कर सड़कों पर ले आए हैं और उनके पीछे खालिस्तानी समूहों का अथाह पैसा लगा हुआ है। दरअसल यह बिचौलिए नहीं चाहते कि मोदी सरकार द्वारा लाया गया कृषि कानून किसी भी कीमत पर लागू हो क्योंकि इस कानून के द्वारा उनकी काली कमाई बंद हो जाएगी।  पंजाब और हरियाणा की मंडियों में बिचौलियों का खासा आर्थिक प्रभाव है और यह तमाम राजनीतिक पार्टियों से फंडिंग के जरिए जुड़े हुए हैं। ऐसे में यह प्रभावशाली लोग अपने खेत में काम करने वाले 10 -10 मजदूरों को लेकर सड़क पर आ गए हैं और उनका साथ दे रहे हैं कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता…साथ ही भीम आर्मी, सिमी ,पीएफआई जैसे संगठन जो मीडिया के कैमरे में किसानों की भीड़ को दर्शाने के लिए प्रदर्शन स्थल पर जुटे हुए हैं।


पंजाब -हरियाणा के इन बिचौलियों से इतर देश का असली किसान जो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र , बिहार, छत्तीसगढ़ के खेतों में काम कर रहा है अपनी फसल को बौने-काटने में मशगूल है।  असली किसान लगातार कह रहा है कि वह मोदी सरकार के कृषि बिल के साथ है और उसमें इतनी समझदारी है कि वह जान चुका है कि ये आंदोलन किसानों के नाम पर महज मोदी विरोध का दिखावा है।

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