केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा को आखिरकार , जाँच अधिकारियों ने 12 घंटे की लम्बी पूछताछ के बाद गिरफ्तार घोषित ही कर दिया। गिरफ्तार घोषित इसलिए क्यूंकि पुलिस द्वारा आशीष मिश्रा को पूछताछ के लिए उपस्थ्ति होने के ,उनके निवास स्थान पर चस्पा किए गए नोटिस के अनुपालन में खुद ही जांच अधिकारियों के सामने अपने अधिवक्ता के साथ उपस्थ्ति हो गए थे।
आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी का जो कारण जांच अधिकारियों द्वारा बताया गया है वो है -आशीष मिश्रा का पूछताछ में सहयोग नहीं करना , और इत्तेफाकन ये जांच अधिकारियों को लगभग 12 घंटे से अधिक पूछताछ करते रहने के बाद एहसास हुआ , हालांकि विधिज्ञ मानते हैं कि ऐसे संवेदनशील मामलों में पुलिस के पास गिरफ़्तारी का एक मात्र आधार होना चाहिए आरोपी द्वारा अपराध कारित किए जाने के ठोस और प्रत्यक्ष प्रमाण।
पुलिस ने दूसरी दलील जो सार्वजनिक रूप से सबके सामने रखी है वो है -आशीष मिश्रा खुद के घटना वाली स्थल पर मौजूद नहीं होने का कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सके -यहां पुलिस क़ानून के बुनियादी नियम को खुद ही भूल रही है। ये जिम्मेदारी पुलिस और अभियोजन पक्ष की है कि वे संदेह से परे जाकर सिद्ध करें कि आरोपी ने बानीयत इस तरह के अपराध को कारित किया है , इसमें “संदेह से परे ” बहुत ही तर्कपूर्ण और वैज्ञानिक पक्ष है।
जहाँ तक विधिज्ञों की राय है तो कुछ बातों का उत्तर अभी भी रहस्य बना हुआ है ,
मसलन , आखिर कौन और क्यों उस सारी चलने वाली भीड़ का वीडियो पहले से ही बना कर चला जा रहा था जिसमें अचानक पीछे से बहुत तेज़ गति से गाड़ियाँ आकर लोगों को कुचलती दबाती निकल जाती हैं
तेज़ गति से चला कर निकलते गाड़ी वालों को क्या ये अंदाज़ा नहीं था कि सैकड़ों की भीड़ को यूँ कुचल कर कोई कहीं नहीं भाग सकता , फिर उन्होंने ऐसा क्यों किया ??
आखिर ये कैसे संभव हुआ कि इतने साए मोबाइल , कैमरों , वीडियो के होते हुए एक में भी आशीष मिश्रा स्पष्ट रूप से नहीं देखा पहचाना जा सका ??
एक भी साक्ष्य , एक भी गवाह ऐसा नहीं जिसने आशीष मिश्रा को ,लोगों को कुचलते हुए और उसके बाद उतने सारे सभी लोगों को धत्ता बता कर भागते हुए देखा , अलबत्ता लोगों ने वो वीडियो जरूर देखा जिसमें लोग एक मासूम निर्दोष से मनमाना कहलवाने के लिए उसे क़त्ल करने पर उतारू हैं।
इनके अलावा कुछ सवाल जो इस विरोध प्रदर्शन से जुड़े हुए और अभी अनुत्तरित ही हैं। मृतकों के परिवार आश्रितों का , यदि उनके प्रतिनिधि के रूप में महेंद्र सिंह टिकैत हैं तो उनसे भी -सरकार और सभी सम्बंधित अधिकारियों की बात , मुआवजा एवं अन्य सहायता आदि सबकी स्वीकृति तो फिर कोई भी तीसरा कैसे और क्यों -मुआवजा नहीं लेंगे कह रहे हैं ??
पिछले एक साल से एक के बाद एक विनाशकारी , हिंसात्मक प्रदर्शन करके सबका ध्यान अपनी ओर खींचे रहने वाले महेंद्र सिंह टिकैत की राजनैतिक महत्वाकांक्षा पर अभी अभी और कितने निर्दोषों की बलि चढ़ाई जाएगी ??
स्वतः संज्ञान लेकर राज्य और पुलिस को चेताने का कार्य करने वाली न्यायपालिका आखिर खुद क्यों नहीं अब तक प्रदर्शनकारियों से ये पूरी दृढ़ता और सख्ती से कह पाई है कि – विधि के द्वारा स्थापित प्रक्रियाओं से ही नीति और नियम की रचना व परिवर्तन की व्यवस्था है इस संवैधानिक देश में। इसलिए सड़कों को बाधित करके और शहरों को बंधक बना कर -क्या कब तक और कितना हासिल किया जाता रहेगा।
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