मेवाड़ की धरती को मुगलों के आतंक से बचाने के लिए वीर सम्राट, साहसी, पराक्रमी क्षत्रिय महाराणा प्रताप जिन्होंने देश और हिंदुओं के स्वाभिमान के लिए आजीवन संघर्ष किया, उनकी वीरता के किस्से किसी से छिपे नहीं हैं. लेकिन लगता है कांग्रेस सियासत और सत्ता की लालच में इस हद तक आगे बढ़ गई है कि महापुरुषों के बारे में अनाब-शनाब बोलने से भी पार्टी के नेताओं को गुरेज नहीं है.

दरअसल राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने शूरवीर महाराणा प्रताप और अकबर की लड़ाई को लेकर एक अलग ही थ्योरी दी है, राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि महाराणा प्रताप और अकबर की लड़ाई सत्ता संघर्ष के लिए थी और बीजेपी ने इसे धार्मिक रंग दे दिया। डोटासरा ने ये भी कहा कि “बीजेपी ने अपने शासनकाल में RSS और उससे जुड़ी संस्थाओं की मंशा के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार किए थे। इसीलिए महाराणा प्रताप और अकबर के युद्ध को धार्मिक लड़ाई बताकर सिलेबस में शामिल करवाया गया था, जबकि यह कोई राष्ट्र निर्माण के लिए नहीं, बल्कि सत्ता के लिए संघर्ष था। बीजेपी हर चीज को हिंदू-मुस्लिम के धार्मिक चश्मे से देखती है।”

डोटासरा के इस बयान की बीजेपी ने कड़ी आलोचना की है.  केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि मुगल चले गए लेकिन कॉन्ग्रेसी एजेंट को छोड़ गए।

वहीं उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि ‘डोटासरा तुरंत माफी मांगे और अगली बार ‘हमारे महाराणा’ का नाम अपनी सियासी जुबान पर न लाएं। यही अच्छा होगा।’

दरअसल चाहे डोटासरा हों, कांग्रेस पार्टी हो या कोई भी, जो अक्रांता अकबर को महिमामंडित करने में लगे हैं उन्हें ये बखूबी समझना होगा कि महाराणा प्रताप का तिरस्कार या फिर उनके लिए अनाब-शनाब देश किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा. कहीं न कहीं ये बड़ी वजह है कि कांग्रेस अपने ऐसे ही नेताओं के बेतुके बयानों की वजह से गर्त में जाती दिख रही है । देश किसी भी हाल में अपने राष्ट्रपुरुषों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी, महाराणा प्रताप राष्ट्र के प्रतीक हैं और उनका जीवन भारत की पहचान है.

 

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