मदरसों में कबीलाई, मुग़ल सोच की शिक्षा से तैयार बालक नफरत, हिंसा, तोड़-फोड़, एवं आतंकी गतिविधियों में संलग्न होता हैं। उसे न साहित्य की समझ है, न विज्ञान से सरोकार, न विधि का डर, न कानून की बंदिश, न उसे अन्य सरकारी शिक्षण संस्थानों की तरह योग, सूर्य नमस्कार करना है, न वंदे मातरम व तिरंगे के प्रति सम्मान दर्शाना है। उसे तो केवल सरकारी अनुदान से कुरान की सुविधानुसार व्याख्या करनी है!
कश्मीर के लगभग सभी अलगाव वादी नेताओं के बच्चे प्रतिष्ठित काॅन्वैन्ट स्कूलों या विदेशों के अत्याधुनिक शिक्षण संस्थानों में पढ़ते हैं। लेकिन अशिक्षित और गरीब मुसलमानों के बच्चों को कांग्रेस की तरह ही ये अलगाववादी नेता भी मदरसा शिक्षा तक सीमित रख कर अपने वोट-बैंक और घृणित उद्देश्यों में उपयोग लेते रहते हैं!
यदि यही बालक आधुनिक शिक्षा पाकर राष्ट्रीय धारा में आ गया तो इन पार्टियों का वोट बैंक समाप्त हो जाएगा! इसलिए असम के शिक्षा मंत्री का सरकारी खजाने से कुरान पढ़ाने पर नियंत्रण की सुगबुगाहट से कांग्रेस सहित मुस्लिमों को आधुनिक शिक्षा से वंचित कर वोट-बैंक तक सीमित रखने की सोच रखने वाले दलों का तिलमिलाना स्वाभाविक है!
असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्वा ने देशहित में दूरदर्शी निर्णय लेकर सभी राज्य सरकारों को देशहित में नया संदेश देने का सराहनीय प्रयास किया है। सरकारी अनुदान से विशेष वरियता देते हुए सिर्फ मदरसा छाप शिक्षा देना कहां तक न्यायोचित है। इसलिए यह सब नवंबर से बंद किये जाने चाहिए अन्यथा बाईबल और भारत के राष्ट्रीय ग्रंथ (गुरु ग्रंथ साहिब,भगवतगीता व रामायण) के लिए भी अनुदान की मांग उठना स्वाभाविक है!
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