भारत सहित पूरी दुनिया कोविड-19 (COVID-19) की समस्या से जूझ रहा है और इसकी जानलेवा प्रवृत्ति ने लोगों के डर और चिंता को बढ़ा दिया है। इस बीमारी का असर नागरिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ा है और इससे अब तक देश में 1 लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। डाक्टरों की माने तो कोविड का सबसे ज्यादा खतरा ज्यादा उम्र वाले या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित लोगों को है, लेकिन हाल ही में उत्तर प्रदेश के प्रय़ागराज में एक हैरान करने वाला वाकया सामने आया है।
दरअसल यहां अल्लापुर मुहल्ले में रहने वाली 65 वर्षीय प्रभात कुसुम गुप्ता ने कोरोना से जंग जीती है, जो अपने आप में चिकित्सा विज्ञान को हैरान कर देने वाला पहला मामला है। कुसुम का कोरोना से जंग जीतना इसलिए भी खास है, क्योंकि वे पिछले 14 सालों से फेफड़े की लाइलाज बीमारी इंटरस्टीशियल लंग डिज़ीज़ (आई.एल.डी.) से लड़ रही हैं, जिसके कारण उनका फेफड़ा लगभग 80 प्रतिशत निष्क्रिय हो चुका है।
आपको जानकार हैरानी होगी कि साल 2006 में कुसुम दिल्ली के एम्स में भी अपना इलाज करने गई था, जहां जाँच के बाद शुरुआती लक्षण में टी.बी. पाया गया था। कुछ समय बाद इंटरस्टीशियल लंग डिज़ीज़ (आई.एल.डी.) की पुष्टि होने पर इलाज संभव ना होने के कारण उन्हें छुट्टी दे दी गई। तब से वह घर पर रह कर ही अपना उपचार करवा रही हैंI
कुसुम की बीमारी (आई.एल.डी.) का इलाज कर रहे डॉक्टर डॉ. आशीष टंडन ने बताया कि कुसुम 2006 से इंटरस्टीशियल लंग डिज़ीज़ (आई.एल.डी.) से पीड़ित हैं। आई.एल.डी. की पुष्टि होने पर मरीज़ बस 5-6 साल तक ही जीवित रह पता हैI यह फेफड़े से जुड़ी कई बीमारियों का समूह है और लम्बे समय तक रहती हैI इसमें फेफड़ो के बीच की कोशिकाएं मोटी होने के कारण फेफड़ा सिंकुड जाता है और फेफड़ा बहुत कमज़ोर हो जाता है इसकी वजह से खून में ऑक्सीजन ठीक से नही पहुँचती हैI
कुसुम को संक्रमण के चलते फेफड़े में सैकड़ो छाले हो गए जिनके गहरे घावों से 80 प्रतिशत फेफड़े का हिस्सा हमेशा के लिए निष्क्रिय हो चुका है। कुसुम को अक्सर ऑक्सीजन की कमी होती है इसलिए उनको ऑक्सीजन, दवा और चिकित्सालय में भर्ती भी होना पड़ता हैI
डॉ. आशीष टंडन ने आगे कहा कि इस बीमारी का सफल इलाज दुनिया में कहीं भी नहीं है। इसलिए इसे केवल दवाओं के माध्यम से कम किया जा सकता हैI उन्होंने बताया कि यह चमत्कार ही है कि कुसुम आई.एल.डी. से पीड़ित होने के बाद भी 14 साल से लड़ रही हैं और इससे भी बड़ा चमत्कार है की वह कोरोना से लड़ कर ठीक हो गई क्यों कि जब कुसुम कोरोना पॉजिटिव हुई तो यह आशंका थी की शायद वह अब कभी ठीक न हो पायेंस लेकिन वे अब कोरोना को हरा कर वापस पहले जैसा जीवन जी रही हैं I
बताया जा रहा है कि 3 सितम्बर को कुसुम और उनके बड़े बेटे नितिन को तेज बुखार आया, जिसके पहले दोनों ने स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में अपनी जांच कराई, जहां कोविड पॉजिटिव पाया गया, जबकि 27 अगस्त को बुखार अवश्य आई थी, लेकिन जांच रिपोर्ट निगेटिव आया था। कोरोना पॉज़िटिव होने के बाद स्वास्थ विभाग की टीम ने कुसुम को अस्पताल में भर्ती होने का सुझाव दिया पर उम्र और पहले की बीमारी को देखते हुए कुसुम ने घर पर ही इलाज की इच्छा जताईI इसके बाद स्वास्थ विभाग और चिकित्सकों के दिशा-निर्देशों का पूर्णतः पालन करते हुए होम आइसोलेशन में रहते हुए कुसुम का इलाज हुआ। इस बीच आई.एल.डी. की दवाएं बंद कर दी गयी।
कुसुम गुप्ता
कुसुम ने बताया कि उन्होंने अपनी दिनचर्या में खानपान को नियमित रखा और सुबह उठना, रोज़ अनुलोम-विलोम करना, स्नान के बाद दो घंटे ध्यान व पूजा करना, शहद, हल्दी, सोंठ, लौंग, दालचीनी, काली मिर्च के मिश्रण का प्रतिदिन सेवन करना, रोजाना गर्म पानी पीना, भाप लेना व बिना तेल मसाले का सादा भोजन करना, सकारात्मक संगीत व भजन सुनना व गुनगुनाना उनकी जीवनशैली का प्रमुख हिस्सा रहा हैI
इस दौरान कुसुम के पति अवधेष और पूरे परिवार ने दिन-रात उनकी सेवा और देखरेख की, जबकि 21 सितम्बर को पुनः जाँच करवाने पर कुसुम को कोरोना निगेटिव पाया गया। के बेटे नितिन ने बताया की होम आइसोलेशन के दौरान एक-दो बार रात में माँ का ऑक्सीजन स्तर 82-83 प्रतिशत तक गिर गया इसके बाद माँ ने प्रत्येक घंटे नियमित 15 मिनट तक भाप लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी इससे करीब तीन घंटे बाद उनका ऑक्सीजन लेवल स्वतः बढ़कर 94-95% आ गया। उन्होने भाप लेने की प्रक्रिया को अभी भी जारी रखा है।
कुसुम गुप्ता
स्वास्थ विभाग द्वारा सुझायी गयी दवाओं का सेवन व दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया। इन्हीं प्रक्रियाओं व अहतियात से माँ ने कोरोना पर विजय प्राप्त कर ली। अपने जीवन को लेकर माँ हमेशा सकारात्मक रही हैं। हर हालात में खुद को संभालना व खुश रहना उनके जीवन का मूलमंत्र रहा है। इसे बारे में प्रयागराज के जिलाधिकारी भानुचन्द्र गोस्वामी ने कुसुम गुप्ता के ठीक होने को एक सकारात्मक संदेश बताया और उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की।
(सोर्स- पत्रकार श्रवण शर्मा)
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