पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में CM ममता बनर्जी ने बड़ा एक्शन लिया है. अपनी ही पार्टी के नेताओं के तरफ से बढ़ते दबाव के बाद ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी को कैबिनेट से बाहर कर दिया है. वहीं TMC के राज्य महासचिव एवं प्रवक्ता कुणाल घोष ने मांग की है कि मंत्री पार्थ चटर्जी को पार्टी से भी तत्काल निष्कासित किया जाना चाहिए. गिरफ्तारी के 5 दिन बाद ममता सरकार ने ये एक्शन लिया है। वहीं इस बीच बुधवार से गुरुवार तक चली 18 घंटे की रेड में ED ने पार्थ की करीबी अर्पिता मुखर्जी के दूसरे घर से 27.9 करोड़ रुपए कैश और 5 किलो सोना जब्त किया।

वहीं मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पार्थ चटर्जी को मंत्रिमंडल से हटाने के बाद सीएम ममता बनर्जी का बयान आ गया है. जिसमें ममता ने दावा किया कि यह पूरा मामला एक बड़ी साजिश का हिस्सा है, जिसके बारे में वह अभी ज्यादा नहीं बताएंगी. ममता ने यह भी कहा कि सारा पैसा एक लड़की (अर्पिता) के पास से बरामद हुआ है जिसको बार-बार दिखाया जा रहा है.वहीं ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद भी कहा था कि अगर मेरे लोग दोषी पाए गए तो मैं खुद उन्हें कानून के हवाले करूंगी, चाहे वो एमपी हों या एमएलए. यहां तक की मंत्री ही क्यों न हो. लेकिन कोई जानबूझकर मेरी छवि नहीं खराब कर सकता.

पार्थ चटर्जी पर हुए एक्शन पर ममता बनर्जी ने कहा कि हमने उनको हटाया क्योंकि तृणमूल कांग्रेस एक सख्त पार्टी है. इसको बदला नहीं जा सकता. यह बड़ा गेम है, जिसके बारे में अभी ज्यादा बात नहीं की जाएगी.

दरअसल जैसे ही पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर से 20 करोड़ से ज्यादा कैश बरामद होने की खबर आयी, उसी समय TMC की तरफ से बयान आया कि पैसों से उसका कोई लेना देना नहीं है. मतलब साफ है TMC ने शुरू से ही पार्थ चटर्जी से दूरी बनानी शुरू कर दी थी. वहीं पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद ममता बनर्जी की खामोशी पर भी सवाल उठे थे. क्योंकि जो ममता बनर्जी कभी अपने पुलिस कमिश्नर को सीबीआई की गिरफ्तारी से बचाने के लिए धरने पर बैठ गईं थी वो भला पार्थ चटर्जी के मामले में शांत मुद्रा में क्यों हैं ? क्या ममता बनर्जी को पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी का अंदाजा पहले ही हो गया था? ये सवाल इसलिए भी पूछा जा रहा है कि क्योंकि ममता बनर्जी को हमेशा ही अपने लोगों के बचाव में खड़े देखा गया है लेकिन इस बार ममता बनर्जी ने सबको हैरत में डाल दिया है.

दरअसल ममता बनर्जी का पार्थ चटर्जी मामले में ये स्टैंड इसलिए भी सामने आ रहा है क्योंकि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 23 जुलाई की रात पार्थ चटर्जी ने अपनी गिरफ्तारी के बाद पहली बार रात को फोन किया, जवाब नहीं मिला. फिर कुछ देर बाद करीब तड़के कोशिश की, कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला. फिर पार्थ चटर्जी ने दूसरे दिन सुबह में फोन किया लेकिन फिर भी फोन नहीं उठा. काफी देर के बाद पार्थ चटर्जी को ये समझते देर नहीं लगी कि ममता बनर्जी ने उनका नंबर ही ब्लॉक कर दिया. लेकिन इसके साथ ही एक सवाल ये कि कहीं ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी का फोन का इसलिए नहीं उठाया कि कहीं आने वाले दिनों में ममता बनर्जी के लिए भी तो कोई परेशानी खड़ी न हो जाए !

आज भले ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी को मंत्रीपद से छुट्टी दे दी है लेकिन कुछ समय पहले तक यही पार्थ चटर्जी ममता सरकार में नंबर-2 की हैसियत रखने वाले नेता थे.

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