राज्यसभा में जिस तरह से तृणमूल कांग्रेस ने ममता बनर्जी की मोदी शाह के प्रति द्वेष से बुरी तरह ग्रस्त मानसिकता का सारा सच पूरे देश के सामने रख दिया। असल में राष्ट्र स्तर पर पूरी तरह खारिज किए जाने वाले ये तमाम क्षेत्रीय राजनेता स्वयं को प्रधानमंत्री बनकर देश चलाने का अधिकारी घोषित कर चुकने वाले , आम जन के समक्ष बिलकुल एक्सपोज़ हो चुकने के कारण अब सिर्फ नकारात्मकता की बेल पर पोषित परजीवी समान होकर रह गए हैं।

स्थानीय स्तर पर धर्म , जाति , भाषा आदि की संकीर्ण राजनीति के दम पर , सालों -साल अपनी राजनीतिक दूकान चलाने वाले इन दलों एयर इनके पोषकों के सामने यदि भाजपा सरीखी सर्कार दशकों बाद आकर खडी हो गई है तो यकायक ही इन सबको अपना राजनैतिक अस्तित्व ही संकट में पड़ता दे रहा है।

कोई जय श्री राम न बोले , कोई दुर्गा पूजा , सरस्वती पूजा न करे , दिन रात दीदी के कहने पर कभी काका छीछी ,काका छीछी बुम्बा बो करता रहे तो कभी नाम ले लेकर प्रधानमंत्री , गृहमंत्री , भाजपा अध्यक्ष सबको कोसता रहे , गाली देता रहे। अब यदि सिर्फ यही शर्त है पार्टी के प्रति निष्ठा जाहिर करने की तो समझ आ जाता है कि जनकल्याण कौन सी वरीयता पर होगा ??

चुनाव सामने हैं और उसका परिणाम स्पष्ट। चुनाव हार जाने के बाद जो स्यापा अक्सर किया जाता रहा है उसमें सबसे सुपर हिट स्यापा है वही घिसा पिटा – EVM हैक हो गई , सैटिंग हो गई रे इसलिए जल्दी ही सबको बांग्ला भाषा में सुनाई देने वाला है – ई कि गोंडोगोल होई गेछे रे , भीशोण गड़बड़ , उड़ी बाबा रे।

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