पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए अकेले ही जुट गई हैं, लेकिन उनके लिए रैलियों से पहले ही मुसीबतें खड़ी होने लगी है, क्योंकि उनकी हाल ही में नंदीग्राम में होने वाली रैली रद्द हो गई है जो कि शुभेंदु अधिकारी का गढ़ और विधानसभा क्षेत्र भी है।

ऐसे में ममता को पता है कि उस पूरे इलाके में उन्हें वो जनसमर्थन नहीं मिलेगा जिसकी वो आदी रहीं हैं। इससे जनता के बीच चुनाव से पहले ही उनकी हार का गलत संदेश जा सकता है और इसलिए वो रैली में ही नहीं जा रही हैं।

नंदीग्राम से एक समय अपने राजनीतिक करियर का उछाल देखने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब नंदीग्राम आंदोलन की बरसी पर उसी क्षेत्र में जाने से कतरा रही हैं। नतीजा ये कि उनकी सात जनवरी को होने वाली रैली में अब वो उपस्थित ही नहीं होगी जो कि काफी आश्चर्यजनक बात है। नंदीग्राम के तृणमूल नेता शेख सूफियान ने ममता बनर्जी के कार्यक्रम के रद्द होने की बात कहते हुए बताया कि अब इस कार्यक्रम को तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुब्रत बख्शी संबोधित करेंगे। उस दिन अब जनसभा के बदले कार्यकर्ताओं का सम्मेलन होगा। टीएमसी नेता अब लीपापोती में लगे हैं साफ है कि ममता ने रैली रद्द ही कर दी है।

ममता के नेता शेख सूफियान ने कहा, ‘ये तय हुआ था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 7 जनवरी, 2021 को शहीद दिवस पर जनसभा करेंगी, लेकिन कुछ कारणों से ममता दीदी का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है।” इस मौके पर बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने ममता के इस फ़ैसले पर चुटकी ली है।

उन्होंने कहा, “हमने तय किया था कि 8 जनवरी को ममता बनर्जी की जनसभा के जवाब में कार्यक्रम करेंगे।इसलिए ममता बनर्जी को अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। इस तरह से तो उनका बहुत सी जगहों पर जाना बंद हो जायेगा। उन्हें अपने सारे कार्यक्रम कालीघाट में ही करने होंगे।”

नंदीग्राम में हुए आंदोलन की बरसी पर प्रतिवर्ष ममता की जनसभा होती थी, जिसका सारा जिम्मा ममता के कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी संभालते थे, क्योंकि वहां उन्हें विशेष जनसमर्थन हासिल है लेकिन इस वर्ष स्थितियां बिल्कुल ही विपरीत हैं। शुभेंदु की टीएमसी से नाराजगी सबके सामने आ गई है। उन्होंने पार्टी से बगावत करते हुए अपना पाला बदल दिया है और बीजेपी का दामन थाम लिया है।

शुभेंदु ने वहां ममता की रैली के अगले दिन ही एक रैली की प्लानिंग कर रखा थी, वो “नंदीग्राम चोलो” नारे के तहत समर्थन जुटा रहे थे। ऐसे में वहां ममता का जनाधार बिल्कुल ही सिमट गया है और ऊपर से शुभेंदु का रैली कररना और अधिक असहज हो सकता था।

शुभेंदु के गढ़ में ममता का जाना खतरनाक हो सकता है क्योंकि शुभेंदु लगातार ममता दीदी की आलोचना कर रहे हैं। ऐसे में शुभेंदु की गैरमौजूदगी में ममता की रैली का बर्बाद होना लाजमी है और उन्हें वहां पर्याप्त जनसमर्थन नहीं मिलेगा जिसके चलते ममता दीदी की विधानसभा चुनाव से पहले ही खिसकते राजनीतिक जनाधार की पोल खुल जाएगी और ये जनता के बीच बीजेपी के पक्ष में संदेश लेकर जाएगी, जो दीदी की हार को पुख्ता कर देगा। इसलिए ऐसे किसी भी संदेश से बचने के लिए ही ममता बनर्जी ने अपनी नंदीग्राम की रैली को रद्द किया है।

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