– 10 साल के शासन में 12 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले करवाए, अभी तक रह रह कर कुकर्म बाहर आ रहे हैं ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– जहाँ 60 साल में 18 लाख करोड़ रूपये का लोन दिया गया था वही सिर्फ 2006 से 2013 में 34 लाख करोड़ का लोन बड़े उद्योगपतियों को बाँट दिया ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– 34 लाख करोड़ से ज्यादा के लोन को कई बार री-स्ट्रक्चर किया गया और अंततः उसमें से 10.7 लाख करोड़ NPA में बदल गया ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– साल दर साल महंगाई एक बार को बढ़ते बढ़ते 12.31% पार कर गई थी 2009 में, महंगाई डायन खाये जात है वाला गाना चलने लगा था ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– ईरान से कच्चा तेल खरीदा पर सैंक्शन का बहाना लेकर पैसा चुकाया नहीं, 43,000 करोड़ का उधार छोड़ गए और अंतरिम बजट में प्रोवीज़न भी नहीं किया ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– टैक्स पेयर्स का 9 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा आयल प्रोडक्ट्स की सब्सिडी में बाँट दिया, पता नहीं कितना इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा हो जाता उसमें ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– 1.34 लाख करोड़ से ज्यादा के आयल बांड की लायबिलिटी छोड़ गए, उसपर 70,000 करोड़ का इंटरेस्ट सो अलग ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– MGNREGA योजना में 100 दिन के अस्थाई काम को जिसमें गड्ढा खुदाई, मिटटी की धुलाई इत्यादि आता है उसको नौकरी में काउंट किया ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– लोगों को अपना कालाधन में रखने के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया, देश से करीब 54.42 Bn $ (3.86 लाख करोड़ रुपये) बाहर चले गए ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– ख़बरों के अनुसार 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य के डुप्लीकेट करेंसी नोट अवैध तरीके से छपवाए ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– सालाना जीडीपी ग्रोथ रेट घटते घटते 2009 में एक बार को 3.4% पर आ गई थी, शायद नए तरीके से कैलकुलेट किया जायेगा तो 2.2% ही निकलेगी ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– बजट डेफिस्ट टू जीडीपी रेश्यो जो अमूमन निगेटिव 3.4% के इर्दगिर्द रहता है वो घटते घटते निगेटिव 6.46% पर पहोच गया था ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– 10 सालों में इंडिया की कुल उधारी 208% और विदेशी कर्ज 307% बढ़ गया था ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– दस सालों में, 4 करोड़ से अधिक फर्जी गैस कनेक्शन बाँट गए और 3.38 लाख से ज्यादा फर्जी कंपनियां बन गईं ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– 80:20 गोल्ड इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट स्कीम लाये थे जिसमे करीब 2.65 लाख करोड़ रुपये के मूल्य के फ्रॉड ट्रांसक्शन्स हुए ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– Aadhar एक्ट, DBT, GST, बेनामी प्रॉपर्टी, इन्सॉल्वेंसी, इत्यादि किसी फाइनेंसियल बिल को पास नहीं करा पाए 10 सालों में ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– 2004 से 2014 आ गया और फिर आखिरी में, भारतीय वायुसेना के लिए Rafale लड़ाकू ज़हाज़ खरीदने के पैसे तक नहीं बचे ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– 10 साल निकल गए, सेना के लिए आधुनिक लड़ाकू ज़हाज़, लड़ाकू हेलीकाप्टर, सबमरीन, टैंक, तोप, बन्दूक कुछ नहीं खरीदा ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– 10 साल के शासन में डॉलर के मुक़ाबले रूपया 31.46% टूट कर कमज़ोर हो गया ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– BSNL, Air India जैसे बड़ी PSU’s नाकारेपन के चलते हजारों करोड़ के लॉस में आ गईं, लाखों की नौकरी पर तलवार लटकने लगी ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय का एक भी प्रोजेक्ट UPA के 10 साल में पूरा नहीं किया, लटका और दिया ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं बैै साहब!


– किसानों और मजदूरों के लिए 10 सालों में कोई भी बड़ा रिफार्म नहीं किया ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– गरीबों को Bank Account, Gas Cylinder, Toilet, Electricity इत्यादि जैसी बुनियादी सेवाओं तक से वंचित रक्खा ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !


– 2013 आते आते इंडिया, विश्व की 5 सबसे फ्रजाइल अर्थव्यवस्थाओं में आ गया था, रेटिंग घटा दी गई थी, त्राहि त्राहि मची थी ; पर कुछ न कहो, बहोत महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री रहे हैं साहब !

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