बिहार देश का एक अद्भुत प्रदेश है। यहां की राजनीति, राजनेता और यहां घटने वाली घटनाओं को लेकर बिहार चर्चा में बना ही रहता है। मौजूदा दौर में बिहार में चर्चा का केंद्र बना हुआ है एक ऐसा पुल जिसका अभी तक उद्घाटन भी नहीं हुआ था वो ढह गया है. जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता है. जो बिहार में फैले भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को उजागर करने के लिए काफी है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में परिकल्पित, अगुवानी सुल्तानगंज पुल को बुनियादी ढांचे के चमत्कार के रूप में पेश किया गया था जो बिहार में परिवहन और संचार में क्रांति लाएगा। 1700 करोड़, इस पुल की लागत दिल्ली में नए संसद परिसर की पूरी लागत से दोगुनी है। ठनक गया ना माथा आपका.
‘बिहार में बहार बा, नीतीशे कुमार बा’ ये स्लोगन दरअसल सिर्फ बैनरों पर ही ठीक है क्योंकि अपराध और भष्टाचार की वजह से जो बिहार की छवि खराब हुई है ऐसे में नीतीश कुमार जी मुंह-मियां मिट्ठू बनना छोड़ दीजिए और तो और विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर खुद को 2024 में देश का पीएम बनने का सपना जो आप देख रहे हैं. उसे भूलकर बिहार के बारे में सोचिए, उन बिहारियों के बारे में सोचिए जिन्होंने आपको सीएम की कुर्सी सौंपी है. लेकिन हार रे राजनीति आपकी आंखों के सामने तो हर समय प्रधानमंत्री की कुर्सी घूम रही है ऐसे में बिहार, बिहारवासी और टूटते पुल कहां दिखेंगे?
हर समय सत्ता पाने की फिराक में रहने वाले माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी को ‘टूटे पुलों के बादशाह’ की उपाधि दी जाए तो आप क्या कहेंगे? अपने विचार हमसे साझा जरुर कीजिएगा.
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