बांग्‍लादेश यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरीके से कई समीकरणों को एक साथ साधा है , उसके चलते उनके विरोधी भी उनके मुरीद बने हुए हैं। बंगलादेश यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल चुनाव में जिस समुदाय के लोगों के साथ पीएम मोदी के मुलाकात की चर्चा है, वे मतुआ समुदाय के लोग हैं। पीएम मोदी इस दौरे के दौरान मतुआ महासंघ के संस्थापक हरिचंद्र ठाकुर के ओरकांडी के मंदिर और बरीसाल जिले के सुगंधा शक्तिपीठ भी गए, जो हिन्‍दू धर्म में वर्णित 51 शक्तिपीठ में से ये एक माना जाता है। 

अब पश्चिम बंगाल की बात करें तो यहां मतुआ समुदाय की एक बड़ी आबादी रहती है। यहां इस समुदाय की आबादी 2 करोड़ से भी अधिक बताई जाती है और पश्चिम बंगाल के नदिया तथा उत्तर व दक्षिण 24 परगना जिले में 40 से ज्‍यादा विधानसभा सीटों पर इनकी पकड़ बेहद मजबूत मानी जाती है। लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस इलाके की कम से कम सात संसदीय सीटों पर उनके वोट को निर्णायक समझा जाता है। इस समुदाय की सियासी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने बंगाल में चुनावी अभियान की शुरुआत बीणापाणि देवी से आशीर्वाद प्राप्त करके की थी।

इस समुदाय के लोगों का समर्थन बीजेपी की तरफ समझा जाता है, जिसकी एक बड़ी वजह नागरिकता संबंधी कानून को समझा जाता है। दरअसल, 2003 में नागरिकता कानून में जो बदलाव किया गया था, उसके बाद उन्‍हें लगा कि भारत में अवैध तरीके से घुसने के नाम पर उन्‍हें बांग्‍लादेश वापस भेजा जा सकता है। लेकिन फिर बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लाए जाने के बाद उन्‍हें यहां शरण और नागरिकता मिलने की उम्‍मीद जगी है, जिसके कारण इस वक्‍त उनका समर्थन बीजेपी का समझा जाता है।

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