जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल सर्वदलीय बैठक की । बैठक में जम्मू कश्मीर में चुनाव और परिसीमन समेत तमाम उन मुद्दों पर चर्चा हुई जो जम्मू कश्मीर से संबंधित हैं। इस दौरान घाटी के नेताओं को विशेष तौर पर तवज्जो दिए जाने पर कुछ एक लोगों ने कहा कि आखिर इस बैठक में जम्मू के डोगरा ,सिख और हिंदुओं का नेतृत्व कौन कर रहा था? तो ऐसे में साफ तौर पर स्पष्ट है कि जिस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह मौजूद हों वहां जम्मू के हिंदुओं, सिखों को किसी और के नेतृत्व की क्या जरूरत है? आखिर जिस बैठक में नरेंद्र मोदी स्वयं मौजूद थे वहां कश्मीरी पंडितों ,सिखों की उम्मीदों और मंशाओं का प्रतिनिधित्व कौन बेहतर कर सकता है?

 करीब साढ़े तीन घंटे तक चली इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई है। पीएम नरेंद्र मोदी ने बैठक में कहा कि ‘राजनीतिक मतभेद होंगे मगर सबको राष्ट्रदहित में एक होकर काम करना चाहिए, जिससे जम्मू-कश्मीर के लोगों को फायदा पहुंचे। उन्होंने जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर में सभी के लिए सुरक्षित होने का वातावरण सुनिश्चित कराना है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस दौरान कहा कि वह ‘दिल्ली की दूरी’ और ‘दिल की दूरी’ कम करना चाहते हैं।
जाहिर तौर पर यह बैठक विकास और लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है। बैठक अनुकूल माहौल में हुई। सभी ने भारत के लोकतंत्र और संविधान के प्रति अपनी निष्ठा दिखाई है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अगला महत्वपूर्ण कदम विधानसभा चुनाव है और हमें इसे एक साथ आगे बढ़ाना है। इसके लिए परिसीमन प्रक्रिया को तेजी से पूरा करना होगा ताकि सभी वर्गों को विधानसभा में उचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिल सके।

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