ये बात अब पूर्ण रूप से जाहिर हो चुकी है कि मौजूदा भाजपा सरकार ने लोक कल्याण , राष्ट्र की सुरक्षा आदि के लिए जब भी कोई बड़ा निर्णय , महत्वपूर्ण फैसला ,कोई भी नया नीति नियम बनाए तो बिना उसे जाने समझे ,गन दोष के प्रभाव का आकलन विश्लेषण किए ,सिर्फ पर विरोध करने के लिए ही कुछ लोग हमेशा नकारात्मकता वाली द्रोही और स्वार्थी मानसिकता का परिचय देने लगते हैं।
आज एक वर्ष होने जा रहे हैं , नागरिकता संशोधन क़ानून को लागू किए और देश का एक भी मुस्लिम यह प्रमाणित नहीं कर सकता की जो अनजाना भय दिखाकर पिछले वर्ष दिल्ली समेत पूरे भारत को दंगे फसाद की आग में झोंका गया था , उस डर से उसके जीवन , करियर ,स्थिति पर रत्ती भर भी प्रभाव पड़ा हो। नोटबांडी हो गई तो रोना धोना और कानून कठोर किए गए तो रोना धोना। चीन को मारा तो स्यापा पाकिस्तान को पीटा तो हंगामा।
सरकार से गुजारिश है की यदि समस्या रोज़ बनाए जा रहे इन लोक कल्याणकारी स्पष्ट कानूनों के निर्माण से ही है तो फिर सरकार विधायिका प्रतीक्षा किस बात की कर रही है। कतार में प्रतीक्षारत सभी कानूनों और उसके मसौदों को अब सार्वजनिक करके उन्हें आम जन के बीच चर्चा और विमर्श भी होने से और अधिक पारदर्शिता आएगी।
सामान नागरिक संहिता , जनसंख्या नियंत्रण कानून ,और इन जैसे तमाम कानूनों को अविलम्ब लेकर आए , ताकि हर थोड़े थोड़े दिनों बाद अलग अलग शक्लों में देश समाज को जलाने अपमानित अशांत करने वाले द्रोहियों को पूरा देश खुल कर पहचान सके।
आज कांग्रेस , वामपंथियों और क्षुद्र स्वार्थ से ग्रस्त सत्ता के लालची छोटे क्षेत्रीय दलों की ये हालत सिर्फ इसलिए ही इतनी बदतर हो गई है क्यूंकि जिन कानूनों को बनाए जाने का उद्देश्य इस देश के आम और साधारण लोग भी समझ गए तो फिर उसके विरोध के पीछे स्वार्थ और डर से खीजे हुए ये लोग अपने निकृष्टतम व्यव्हार पर उतर आए हैं।
ये बात भी अब सबको बखूबी समझ आ रही है कि , सत्तर वर्षों में कानून और विधि को जान बूझ कर पंगु बना कर रखा गया ताकि राजनीति उसकी छाती पर बैठ कर अपनी सियासत चलाती रहे ,और किसी को ये अंदाज़ा नहीं था कि आखिरकार एक दिन ये तंद्रा टूटेगी और न्याय के शासन की स्थापना का प्रयास होगा।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.