क्योंकि ये मोदी जी बहुत अच्छे से जानते है कि किसान और जवान ही देश का आधार हैं
मोदी जी ने जीता किसानों का दिल
मोदी जी ने जीता किसानों का दिल
काँग्रेस ने किसानों के पैरों में जंजीर और गले में फन्दा” क्यों डाला कभी सोचा है ?
किसानों का धन्धा क्यों बांधा गया था।
सही क्या और गलत क्या ??
क्या किसानों का “तीन अध्यादेश” के विरुद्ध आंदोलन उचित है भी या नहीं?
सन 1960-70 के आसपास देश में कोंग्रेसी सरकार ने एक कानून पास किया जिसका नाम था – “APMC ACT”
इस एक्ट में यह प्रावधान किया गया कि किसान अपनी उपज केवल सरकार द्वारा तय स्थान अर्थात सरकारी मंडी में ही बेच सकता है।
इस मंडी के बाहर किसान अपनी उपज नहीं बेच सकता। और इस मंडी में कृषि उपज की खरीद भी वो ही व्यक्ति कर सकता था जो APMC ACT में registered हो, दूसरा नही।
इन REGISTERED PERSON को देशी भाषा में कहते हैं “आढ़तिया” यानि “Commission Agent”
इस सारी व्यवस्था के पीछे कुतर्क यह दिया गया कि व्यापारी किसानों को लूटता है इस लिये सारी कृषि उपज की खरीद बिक्री -“सरकारी ईमानदार अफसरों” के सामने हो।
जिससे “सरकारी ईमानदार अफसरों” को भी कुछ “हिस्सा पानी” मिलें।
इस एक्ट आने के बाद किसानों का शोषण कई गुना बढ़ गया। इस एक्ट के कारण हुआ क्या कृषि उपज की खरीदारी करनें वालों की गिनती बहुत सीमित हो गई।
किसान की उपज के मात्र 10 – 20 या 50 लोग ही ग्राहक होते है। ये ही चन्द लोग मिल कर किसान की उपज के भाव तय करते है।
मजे कि बात ये है कि:—फिर रोते भी किसान ही है कि :—
इस महगाई के दौर में-किसान को अपनी उपज की सही कीमत नही मिलता है।
जब खरीददार ही-“संगठित और सिमित संख्या में” होंगे तो-सही कीमत कैसे मिलेगी??
यह मार्किट का नियम है कि अगर अपने producer का शोषण रोकना है तो आपको ऐसी व्यवस्था करनी पड़ेगी जिसमें – “खरीददार” buyer की गिनती UNLIMITED हो।
जब खरीददार ज्यादा होंगे तभी तो किसी भी माल की कीमत बढ़ेगी।
लेकिन वर्तमान में चल रही मण्डी व्यवस्था में तो किसान की उपज के मात्र 10 – 20 या 50 लोग ही ग्राहक होते है।
APMC ACT से हुआ क्या कि अगर किसी RETAILER ने, किसी उपभोक्ता नें
किसी छोटे या बड़े manufacturer ने, या किसी बाहर के trader ने किसी मंडी से सामान खरीदना होता है तो वह किसान से सीधा नहीं खरीद सकता उसे आढ़तियों से ही समान खरीदना पड़ता है।
इसमें आढ़तियों की होगी चांदी ही चाँदी और किसान और उपभोक्ता दोनो रगड़ा गया।
जब मंडी में किसान अपनी वर्ष भर की मेहनत को मंडी में लाता है तो BUYER यानि आढ़तिये आपस में मिल जाते हैं और बहुत ही कम कीमत पर किसान की फसल खरीद लेते हैं।
याद रहे :– बाद में यही फसल ऊचें दाम पर उपभोक्ता को उबलब्ध होती थी।
यह सारा गोरख धंदा ईमानदार अफसरों की नाक के नीचे होता है।
एक टुकड़ा मंडी बोर्ड के अफसरों को डाल दिया जाता है।
मंडी बोर्ड का “चेयरमैन” को लोकल MLA मोटी रिश्वत देकर नियुक्त होता है। एक हड्डी राजनेताओं के हिस्से भी आती है। यह सारी लूट खसूट APMC ACT की आड़ में हो रही है।
दूसरा सरकार ने APMC ACT की आड़ में कई तरह के टैक्स और COMMISSION किसान पर थोप दिए।
जैसे कि किसान को भी अपनी फसल “कृषी उपज मंडी” में बेचने पर 3%, मार्किट फीस, 3% Rural Development Fund और 2.5 Commission ठोक रखा है।
मजदुरी आदि मिलाकर यह फालतू खर्च 10% के आसपास हो जाता है। कई राज्यों में यह खर्च 20% तक पहुंच जाता है। यह सारा खर्च किसान पर पड़ता है।
बाकी मंडी में फसल की Transportation, रखरखाव का खर्च अलग पड़ता है।
मंडियो में फसल की चोरी, कम तौलना, आम बात है। कई बार फसल कई दिनों तक नहीं बिकती किसान को खुद फसल की निगरानी करनी पड़ती है। एक बार फसल मंडी में आ गई तो किसान को वह “बिचोलियों” द्वारा तय की कीमत पर, यानि ओने पोंने दाम पर बेचनी ही पड़ती है।
क्योंकि कई राज्यों में किसान अपने राज्य की दूसरी मंडी में अपनी फसल नहीं लेकर जा सकता। दूसरे राज्य की मंडी में फसल बेचना APMC ACT के तहत गैर कानूनी है।
APMC ACT सारी कृषि उपज पर लागू होता है चाहे वह सब्ज़ी हो, फल हो या अनाज हो। तभी हिमाचल में 10 रुपये किलो बिकने वाला सेब उपभोक्ता तक पहुँचते पहुँचते 100 रुपए किलो हो जाता है।
आढ़तियों का आपस में मिलकर किसानो को लूटना मैंने {लेखक ने} अपने आंखों से देखा है। मेरे पिताजी खुद एक आढ़तिया थे। उन्होंने ने हमेशा किसानों को उनकी फसल का सही दाम दिलवाने की कोशिश की। किसान मंडी में तब तक अपनी फसल नहीं बेचता था जब तक मेरे पिता जी बोली देने के लिये नहीं पहुँचते थे। किसान मेरे पिता जी को ट्रैक्टर पर बिठा कर खुद लेकर जाते थे। जिस फसल का Retail में दाम 500 रुपये क्विंटल होता था सारे आढ़तिये मिलकर उसका दाम 200 से बढ़ने नहीं देते थे। ऐसे किसानों की लूट मैंने अपनी आंखों के सामने देखी है।
मोदी सरकार द्वारा अन्नदाता की दशा सुधारने के लिए तीन अध्यादेश लाये गए हैं।
जिसमे निम्नलिखित सुधार किए गए हैं।
कई लोग इन कानूनों के विरुद्ध दुष्प्रचार कर रहें है। जोकि निम्नलिखित हैं।
यह तीन कानून किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मुक्ति के कानून हैं।
आज इस सरकार ने किसानों पर कोंग्रेस द्वारा लगाई हुई “बन्दिश” को हटा कर, “हर किसी को” अपनी उपज बेचने के लिये आजाद करके, “पुरे देश का बाजार” किसानो के लिये खोल दिया है। किसानो को कोई भी टैक्स भी नही देना होगा।
जो भी लोग विरोध कर रहे है वो उन की अपनी समझ है,
इस सरकार से बढ़ कर कोई किसान हितेषी सरकार कभी नहीं बनी और भविष्य में भी कोई नहीं बनेगी।
क्योंकि ये मोदी जी बहुत अच्छे से जानते है कि किसान और जवान ही देश का *आधार हैं ???
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