आदरणीय
प्राईम मिनिस्टर सर,
जय हिन्द। सर , आप पिछले छह वर्षों से बिना रुके ,बिना थके , इस देश भारत को एक सपूत , एक नागरिक , एक जनप्रतिनिधि और सरकार के मुखिया के रूप में अपने दृढ़ इरादों और अडिग संकल्प ,पर चलते हुए आपने भारत को वो देने का प्रयास किया है जिसकी जरूरत ,देेेश को पिछले 50 सालों से थी और सबसे जरूरी बात तो ये कि यदि ये अब नहीं शुरू किया जाता तो फिर कभी भी न हो पाता सर।

चीन की गर्दन मरोड़ने से लेकर नासूर बन चुके पडोसी पाकिस्तान को न सिर्फ उनके वास्तविक चरित्र यानि नग्न करके इतना बदहाल कर देना कि , पूरी दुनिया में उनका बड़बोला गाजी पहलवान कटोरा लिए और आपही का नाम लेकर सोता जागता है। दुनिया से लेकर देश ,प्रदेश , राज्य ,शहर ,गाँव ,सड़क ,संसद ,सरहद। ..सर हिन्दुस्तान का कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं जिसे आपके सद्वचनों और प्रेरणादायी स्नेहिल शब्दों ने न छुआ हो।

सर आपकी अडिग इच्छाशक्ति और निर्णय लेने की अपरिमित ताकत का ही परिणाम है कि पिछले छह वर्षों में क्या क्या नहीं देख लिया सर और अभी तो ये बस एक आरम्भ है। सर आपका हर निर्णय , हर सुझाव ,हर नई पहल एक कुशल रणनीतिक कदम प्रमाणित होता है। यही वजह है कि जनकल्याण और एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को रत्ती भर भी न समझ कर अपनी स्वार्थ , लालच और भ्रष्टाचार की पाप की लंका को दहकने ,फुंकने और ढहने से बचाने के लिए कितने ही तरह के प्रपंच कर रहे हैं।

ये सर्जिकल स्ट्राइक्स यूं ही निर्बाध निरंतर होती रहे सर। इस देश को अब इंतज़ार करने की कोई जरूरत नहीं है सर। एक के बाद एक वो सारे कानून लेकर आइये जो इस देश को भारत बना सके। वो भारत जिसका नाम लेते ही पूरी दुनिया को देश का मर्म सनातन की समझ हो सके। वही सनातन जो प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने वाली इस पृथ्वी की सबसे आदिकालीन सभ्यता है। यही सत्य है और यही साक्ष्य भी।

प्राईम मिनिस्टर सर , करबद्ध होकर एक प्रार्थना और है सर। सर इन दिनों OTT प्लेटफॉर्म्स के नाम पर जो विष हमारे भारतीय समाज के हर छोटे बड़े मस्तिष्क में पहुँचाया जा रहा है सर वो सीधा सीधा हमारी संस्कृति पर आघात पहुँचा कर सनातन को अपमानित करने का षड्यंत्र है सर। सर , दुःखद बात यह है कि ऐसा बार बार किया जा रहा है।

अभिव्यक्ति के नाम पर परोसे वाले इस विष में समाज की बुराइयां माने जाने वाले हर दोष , नशा ,हिंसा , यौन उन्मुक्तता ,अश्लीलता ,गाली गलौज ,अपमानजनक वचन और व्यवहार तथा निश्चित उद्देश्यों /एजेंडों की भरमार रहती है। सर सिनेमा , हमेशा से समाज का प्रतिबिम्ब रहा है। समाज को विषाक्त करने वाला , समाज में वैमन्सयता बढ़ाने वाला , सरकार शासन पुलिस ,समाज ,धर्म ,जाति सबके विरूद्ध मिथ्याचार ,उपहासपूर्ण -सिनेमा ,धारावाहिक ,वेब धारावाहिक कैसे हो सकते हैं भला ?

सर इन तमाम OTT प्लेटफॉर्म्स को एक विधिक दायरे में लाकर ,इन्हें कानूनी दायरे और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सही परिभाषा /परिमाण से इनका परिचय कराना अब आवश्यक हो गया है। समाज में रह कर सामाजिक कानूनों का पालन करना ही वो एकमात्र नियम हो जिसे हर स्थिति में हर एक को पालन करना होगा। एक सर्जिकल स्ट्राइक इन पर भी होनी चाहिए सर।

जय हिन्द सर।

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