मुम्बई और महाराष्ट्र के परिप्रेक्ष्य में पिछले साल जिन बातों के लिए मुमबई का नाम बार बार समाचार जगत में लिया जाता रहा वो थी
पालघर में दो साधुओं समेत तीन निर्दोष लोगों की निर्मम ह्त्या और वो भी राज्य सरकार की पुलिस के मौजूदगी में
फिल्म जगत से जुड़े दिशा सालियान व युवा अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मृत्यु का मामला
फेसबुक पोस्ट के विरोध में वायुसेना अधिकारी की शिव सैनिकों द्वारा सार्जवजनिक रूप से की गई पिटाई
गरीबों के लिए राज्य सरकार की तरफ से शुरू की गई स्कॉलरशिप योजना में IAS अधिकारियों के बच्चों को विदेश पढ़ने भेजे जाने का मामला
सिनेमा जगत में एक एक बाद एक कानून की गिरफ्त में फंसते तमाम फ़िल्मी सितारे जो प्रमाणित कर रहे हैं कि सिनेमा जगत किस तरह से नशे के सौदागरों के शिकंजे में फंसा हुआ है
इसके अलावा सरकार के मंत्रियों तक पर लगते यौन शोषण के आरोप , कोरोना के दौरान दिखाई जाने वाली तत्परता और ली जाने वाली जिम्मेदारी से भागना
और इन सबकी प्रतिक्रिया में सरकार , उनके प्रवक्ता , उनके निकायों के प्रति उत्तर की बानगी भी देख लेते हैं :-
कंगना राणावत के साथ सोशल नेट्वर्किंग साइट्स ,समाचार जगत में किरकरी कराने के बाद प्रतिक्रया स्वरूप उनके घर दफ्तर पर बुलडोज़र चलवा कर बाद में अपने इस करतूत के लिए अदालत में डाँट भी खाई
पालघर साधु हत्याकाण्ड में गिरफ्तार कुल अपराधियों में से 89 आरोपियों को अभी हाल ही में अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया।
दिशा सालियान और सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मृत्यु के मामले में मुमबई पुलिस को न कभी कुछ कहना था और न ही करना इसलिए इस सन्दर्भ में उनका कोई आधिकारिक बयान कभी नहीं आया
रिपब्लिक टीवी और उससे जुडी टीम के विरूद्ध पूरी सरकार , तंत्र और पुलिस जैसे एक अघोषित युद्ध छेड़ कर बैठ गई। लगातार एक के बाद एक नए नए मुक़दमे को अपनी वरीयता में डाल कर सारे जरूरी और गंभीर अपराधों को दरकिनार करके सिर्फ टी आर पी केस को प्रकाश में लाना हैरान करने वाला है।
अब एक साधारण पाठक के रूप में आप स्वयं अंदाज़ा लगाएं की बेशक सरकार कर राज्य पुलिस प्रदेश को अपराधमुक्त करके कानून व विधि व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कार्य कर ही रहे होंगे किन्तु गंभीरता और पड़ने वाले प्रभाव की भयावहता के दृष्टिकोण से देखें तो राज्य में घट रहे और पनपते गंभीर अपराधों पर ज्यादा ध्यान दिया आना अपेक्षित है।
सीधी सरल सी बात है टीवी चैनलों की व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में आंकड़ों की हेराफेरी से कहीं अधिक गंभीर पालघर में वृद्ध साधुओं की नृशंस ह्त्या , सिने कलाकारों की संदिग्ध मृत्यु , मायानगरी में फैला हुआ नशे व अपराध माफिया का काला कारोबार आदि जैसे बहुत सारे अपराध अभी प्रदेश सरकार की पुलिस की वरीयता में न आना गंभीर चिंता की बात है
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