संजय राउत की पत्नी को ईडी का नोटिस मिलते ही जैसे ‌करंट लग गया है. खुद को ‘नंगा आदमी’ बताते हुए ताल ठोक कर बीजेपी को चुनौती दे रहे हैं. नारी पर अत्याचार की दुहाई दे रहे हैं और देश को तोड़ने की धमकी दे रहे हैं. यह वही नॉटी संजय राउत है जिन्होंने बुलडोजर चलवा कर एक महिला का ऑफिस तोड़ दिया था और उसके बाद सामना में हेड लाइन डाली थी – “उखाड़ दिया.” अब बेचारे खुद उखड़ गए हैं और उखड़-उखड़ कर देश तोड़ने की बातें कर रहे हैं. सामना में एक लेख लिखते हुए उन्होंने कहा कि जैसे सोवियत संघ टूट गया था वैसे ही बहुत जल्द भारत भी टूट कर बिखर जाएगा. सच्चाई ये है कि ऐसा लगता है कि राउत का भ्रष्टाचार से खड़ा किया गया साम्राज्य बिखरने के कगार पर खड़ा है.

पीएमसी का घोटाला एक बहुत ही चिंताजनक घोटाला है जिसमें जनता का पैसा ईमानदारी से कमाया हुआ पैसा लूट लिया गया है. इस घोटाले की जांच के तहत उनकी पत्नी उषा राहुल के अकाउंट में ₹55 लाख का ट्रांजैक्शन मिला. और यह प्रवीण राउत के अकाउंट से आया जिसके खिलाफ मुंबई पुलिस ने पीएमसी घोटाले में चार्जशीट बनाई है. तो इस बात का सवाल उठता है कि पीएमसी घोटाले का पैसा उषा रावत के अकाउंट में क्यों आया? उनका इस घोटाले से क्या संबंध है? और संजय राउत का इस मामले में क्या रोल है? ईडी ने पहले भी दो बार उषा राउत को सम्मन दिया है लेकिन वह हाजिर नहीं हुई. अपने सत्ता की धमक दिखाते हुए वर्षा राउत ने सम्मन का अवहेलना किया. भाजपा नेता किरीट सोमैया ने पूरे प्रकरण को संदेहास्पद बताते हुए जांच की मांग की है.

पीएमसी घोटाले के भुक्तभोगी दर्जनों ग्राहकों ने आत्महत्या कर ली है. यह घोटाला बैंक में पैसा जमा करने की व्यवस्था और इस व्यवस्था में आस्था पर सीधा चोट करता है. इस घोटाले का सही तरीके से जांच और दोषियों को सजा, चाहे वह कोई भी हो, बहुत ही आवश्यक है. क्योंकि देश के प्रगति के लिए पैसा बैंकों में जमा धनराशि से ही आता है. जमाकर्ता का विश्वास खत्म हो जाए और वह पैसा जमा करना बंद कर दे तो भारत को विदेशों से कर्जा लेना पड़ेगा. इस तरह यह घोटाला देश के स्वावलंबी होने पर सीधे कुठाराघात करता है. इसे किसी अन्य घोटाले की तरह सोच कर नजरें हटा लेने से काम नहीं चलेगा. एक एक दोषी को, चाहे वह वर्षा राउत हो या संजय राउत, को कॉलर पकड़ के जनता के सामने प्रस्तुत करना पड़ेगा और न्याय होते हुए दिखाना पड़ेगा. इसलिए राह लंबी है और “नॉटी” संजय राउत इसमें जरूर रोड़ा डालेंगे. उनकी पत्नी को ईडी द्वारा सम्मन देना एक अच्छी शुरुआत है. इससे यह पता चलता है कि घोटाला चाहे बड़ा आदमी करे चाहे छोटा आज की सरकार उसे छोड़ेगी नहीं.

ऐसा भी आभास होता है कि यह घटना एक बहुत बड़े भ्रष्टाचार के साम्राज्य को नंगा करने की शुरुआत भर है. एक ऐसा नेता जिसका कोई जनता में आधार नहीं है उसके सामने शिवसेना का शीर्ष नेतृत्व भीगी बिल्ली बन जाए इसका केवल एक अर्थ है: उसके पास बहुत ज्यादा पैसा है या उसके सीने में राज हैं, जिसे शीर्ष नेतृत्व नाराज नहीं कर सकता हैं. ऐसे आधारहीन लोगों को ठिकाने लगाना चाहिए. यह राउत ही हैं जिन्होंने शिवसेना को सत्ता का शेखचिल्ली सपना दिखाकर आज महाराष्ट्र को एक ‘कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानमती ने कुनबा जोड़ा’ वाली अस्थिर सरकार का तोहफा दिया है. बिना जनता के आधार वाले नेता चाहे वह कांग्रेस में हो या शिवसेना में, एक अभिशाप होते हैं. और यह सत्ता मिलने पर और भी बड़े भ्रष्टाचार के स्रोत बन जाते हैं. आवश्यकता है ऐसे हवा-हवाई सत्ता ब्रोकरों की दुकान बंद करने की और ऐसा लगता है कि दिल्ली ने इसका मन बना लिया है…

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