NDA ने अपना राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित कर दिया है, कल देर शाम दिल्ली में पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक में झारखंड की राज्यपाल रह चुकी आदिवासी समाज से आने वाली Draupadi Murmu के नाम पर मुहर लगी। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रेस कांफ्रेंस कर देशवासियों को इसकी जानकारी दी। 

NDA के सभी घटक दलों से बातचीत कर राष्ट्रपति उम्मीदवार पर हुआ फैसला:- बीजेपी 

देश के राष्ट्रपति के चुनाव के लिए बीजेपी ने कहा की हमने इसके लिए सभी दलों से एक साझा उम्मीदवार उतारने का प्रयास किया लेकिन विपक्षी दलों से जवाब ना मिलने पर NDA के सभी घटक दलों से बातचीत कर यह फैसला लिया गया है।

भारत की पहली “आदिवासी राष्ट्रपति” होंगी द्रौपदी मुर्मू 

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में हुआ था. वह दिवंगत बिरंची नारायण टुडू की बेटी हैं. मुर्मू की शादी श्याम चरम मुर्मू से हुई थी।द्रौपदी मुर्मू ने जीवन में आई हर बाधा का मुकाबला किया है, पति और दो बेटों को खोने के बाद भी उनका संकल्प और मजबूत हुआ। द्रौपदी मुर्मू को गरीबों के उत्थान के लिए काम करने का 20 वर्षों का अनुभव है।

इस फैसले से बीजेपी ने अपने विरोधियों को कर दिया है चित!

Draupadi murmu meeting Modi

आदिवासी महिला को उम्मीदवार बनाना बीजेपी का यह फैसला मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है की ये निर्णय जनजातीय गौरव को नए शिखर पर ले जाने का काम करेगा। दरअसल, महिला सशक्तिकरण हो या जनजातीय अस्मिता के गौरव को पुनर्स्थापित करना हो इस दिशा में जितने कार्य पिछले 8 साल में हुए हैं वो पहले कभी नहीं हुए।

कभी राष्ट्रपति उम्मीदवार की दौड़ में रहे नितीश कुमार अब क्या करेंगे?

राष्ट्रपति को लेकर पिछले कुछ महीनों में चर्चाओं का बाजार गर्म था और इन सबके बीच इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया था कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार भारत के नए राष्ट्रपति हो सकते हैं या नहीं? यह भी कयास लगाए जा रहे थे कि विपक्षी दाल नीतीश को राष्ट्रपति चुनावों में उतार सकती है। लेकिन अब मामला साफ होने के बाद बड़ा सवाल बनता है की नितीश आखिर अब क्या करेंगे! आदिवासी समाज से आने के कारण सीएम नितीश पर इनका समर्थन करना इनकी मज़बूरी होगी क्योंकि झारखंड में जदयू अपना विस्तार करना चाहती है, और ऐसे में वह वहां के वोटरों को नाराज नहीं करना चाहेगी। गौरतलब है की नितीश का रवैया पिछले कुछ दिनों से बीजेपी के लिए उत्साहित करने वाला नहीं रहा है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे की राष्ट्रपति चुनाव में भी नितीश पलटी ना मार दें लेकिन अब मरता क्या नहीं करता वाली जाल में फंस चुके नितीश के लिए यह संभव नहीं होगा।

20 साल लम्बा प्रशासनिक व सामाजिक अनुभव से मुर्मू बनेंगी एक महान राष्ट्रपति  

द्रौपदी मुर्मू ने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। द्रौपदी मुर्मू 1997 में ओडिशा के राजरंगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं। 1997 में ही मुर्मू बीजेपी की ओडिशा ईकाई की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष भी बनी थीं. मुर्मू राजनीति में आने से पहले श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी थीं.द्रौपदी मुर्मू ने 2002 से 2009 तक और फिर 2013 में मयूरभंज के भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया.द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार की बीजेपी विधायक रह चुकी हैं और वह नवीन पटनायक सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थीं। उस समय बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन की सरकार ओडिशा में चल रही थी.

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