अंग्रेजी कैलेंडर की तारीखों को पलटने के वार्षिक अवसर पर एक बार रुक कर पीछे मुड़ कर सोचने , देखने , और विश्लेषण करने के मौके के बीच वर्तमान में ये कहने बताने से अधिक उपयुक्त और कोई समय नहीं होगा कि दुनिया में आज जिस देश की राष्ट्रीयता , उसके भगवामय ,गंगा मय होते जाने की धमक सुनाई दे रही है वो मोदी और योगी जैसे कर्मवीर सपूतों का नया भारत है।
सिर्फ पिछले छः वर्षों में भारतीयों ने लगभग हर मुद्दे , हर मौके , हर ख़ुशी गम ,मुसीबत और महामारी के समय भी जो एक जुटता दिखाई है , एक साँस में शंख ध्वनि से लेकर दीप प्रज्ज्लवन और जाने कितने ही व्रत धारण करने में और उसका अद्वितीय निर्वाह पूरे संसार के लिए एक नया कौतूहल , एक नई शक्ति का उदय और एक विश्व पटल पर एक एक नए शक्ति पुँज के एहसास कराने जैसा रहा है।
देश को किन क्षेत्रों में , क्या सफलता मिली , कहाँ कौन से प्रयोग अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं दे सके , इन सब बातों का आकलन विश्लेषण जब होगा तब होगा , मगर आज और अभी ये सबसे बड़ा सत्य है कि मोदी ,योगी ,शाह और इन जैसे जाने कितने ही देश के सपूत अब अपना सर्वस्व अपने भारत पर न्यौछावर करने को तत्पर हो उठे हैं।
वे नए प्रयोग कर रहे हैं , आगे बढ़ बढ़ कर नए फैसले ले रहे हैं , नई नीतियों का निर्माण कर रहे हैं , दशकों से एक जैसे ही घिसे पिटे तरीके से चली आ रही कार्यप्रणालियों को बदल रहे हैं , वे असल में भारत को बदल रहे हैं , और भारत बदल भी रहा है।
पाकिस्तान ,बांग्लादेश जैसे धूर्त कंगाल देशों की सिरदर्दी को हमेशा के लिए ख़त्म किये जाने की दृढ़ता हो या सालों से दीमक की तरह देश को अलग अलग तरह से कमज़ोर करता चीन की गर्दन और गुरूर दोनों को तोड़ मरोड़ कर फेंक देना , सेना को साजो सामान और आधुनिक हथियारों से लैस करके देश के प्रधानमंत्री जब खुद उनके बीच पहुचंते हैं तो पूरी दुनिया की फ़ौज की नज़रें अपने अपने देश के प्रमुखों की ओर उठ जाती है मानो जान और पूछ रहे हों -ये भारत को हुआ क्या है ?
जिस देश में हज़ारों कानून पहले से मौजूद हों उस देश में नई सरकार द्वारा एक आध नया कानून बनाने से ही पिछले छः सालों में , छह लाख बार विपक्षियों के अपने परसनल लोकतंत्र की ह्त्या हो गई है , असल में वे जान चुके हैं कि , ये सरकार जो भी कानून बनाएगी , जैसा भी बनाएगी , उसको जस का तस पालन भी करवाएगी और यदि ये बदस्तूर इसी तरह चलता रहा तो देश , शासन और समाज के सारे दोषी अपने आप खर पतवार की तरह अलग होते चले जाएंगे।
साफ़ नीयत , स्पष्ट बात , दृढ़ निश्चय और इन सबसे बढ़कर राष्ट्र प्रेम , ये कुल मिला कर वो आयुध हैं आज के भारत के जिसके आगे अब दुनिया की तमाम ताकतों को पसीना आ रहा है , मुगलों के अब्बू माने जाने वाले अरब देश में परिवर्तन की बयार बह रही है और पड़ोसी पाकिस्तान फिलहाल अपने दाढ़ी बुर्के सहित चीन के भिंडी बाजार में बे भाव बिकने को तैयार खड़ा है , कहाँ जहाँपनाह बने फिरते थे आज पनाह और पैसा , दोनों हो मांगते फिर रहे हैं।
आने वाला काल ,सनातन का होगा ये निश्चित है , भारत का अपना एक विशिष्ट गुरुत्व जो चिर काल से रहा है वो उसी स्तर तक पहुँचेगा। जय हिन्द , जय भारत
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