देश में कोरोना महामारी के बीच गंगा नदी में उतराती हुई लाशों के मिलने से हड़कंप मच गया है, कोरोना वायरस के संक्रमण काल में लोगों के साथ ही अब जीवनदायिनी माने जाने वाली गंगा नदी पर भी संकट दिख रहा है, मोक्षदायिनी मानी जाने वाली गंगा नदी के साथ ही यमुना, गोमती और अन्य नदियों या फिर उनके तट पर रोज सैकड़ों शव मिल रहे हैं। दरअसल कोरोना वायरस संक्रमण से हुई मौत के बाद परिवार के लोग या तो इनके शवों को बहा दे रहे हैं या फिर आधे जले शवों को नदी के पास छोड़ दे रहे हैं.

अब इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा नदी में लाशें मिलने की शिकायतों के बाद गुरुवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय और दोनों राज्यों को नोटिस जारी किया. आयोग ने बयान में कहा, ‘NHRC दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में कार्रवाई कर रिपोर्ट मांगी है.’

दरअसल यूपी के बलिया जिले के रहने वाले लोगों के मुताबिक नरही इलाके के उजियार, कुल्हड़िया और भरौली घाट पर कम से कम 52 लाशें बहती हुई दिखाई दी हैं. इसी तरह गंगा नदी में लाशों के बहने की खबर बिहार के कुछ जिलों से भी मिली है. बयान में NHRC ने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रशासनिक अधिकारी जनता को जागरूक करने और गंगा नदी में अधजली या बिना जली लाशों को बहाने से रोकने में असफल हुए हैं. आज भारत कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह से प्रभावित है और जिसकी वजह से देशभर के श्मशान और कब्रिस्तान पर बोझ बढ़ता जा रहा है. आयोग ने कहा, ‘शवों को हमारी पवित्र गंगा नदी में प्रवाहित करना स्पष्ट रूप से जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है.’ आयोग ने बताया कि उसे 11 मई 2021 को मीडिया में आई खबरों के हवाले से शिकायत मिली और उसमें आशंका जताई गई कि नदी में बह रहे शव कोविड-19 संक्रमितों के हैं.

इधर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को याचिका दायर कर ऐसे कई लोगों की मौत की जांच की मांग की गई जिनके शव बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में बहते पाए गए थे। याचिका में मौत की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेष जांच टीम गठित करने का आग्रह किया गया। याचिका में केंद्र, यूपी-बिहार के अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि नदी में बहते पाए गए शवों का पोस्टमार्टम कराया जाए ताकि मौत के कारणों का पता चल सके।

जाहिर है नदियों में मिल रहे शवों से पल्ला नहीं झाड़ा जा सकता। शव आसमान से तो टपक नहीं रहे हैं. अचानक बड़ी संख्या में शवों का मोक्षदायिनी में बहना इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला है। इन सभी का विधिवत अंतिम संस्कार तो किया ही जाना चाहिए। सदियों से गंगा बह रही है, लेकिन आज तक गंगा के किनारे बसे गांव वालों ने इस तरह इंसानियत को तार-तार करने वाला मंजर कभी नहीं देखा होगा। जिंदा के साथ ही किसी भी मृत को सम्मान देना भी समाज सेवा का ही हिस्सा है।

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