पांच साल पहले 101 में से 80 सीटें जितने वाली RJD इस बार 144 मे से सिर्फ 75 पर जीत पायी

तेजस्वी यादव को मीडिया बता रहा है हीरो, आकंड़े बता रहे हैं कुछ और ही कहानी

चिराग पासवान ने वोट ना काटे होते तो 30 सीटें और कम आती RJD की

यानी अपने दम पर RJD ने जीती 144 में से सिर्फ 45 सीटें, ये वो सीटें हैं जो तेजस्वी की जगह तेजप्रताप या मीसा भारती ज़ कोई भी होता, ये सीटें RJD ही जीतती

बिहार चुनावों में हार के बावजूद मीडिया का एक वर्ग तेजस्वी यादव को हीरो के तौर पेश कर रहा हैं लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़े चुनाव में ये RJD के इतिहास की अब तक कि सबसे खराब परफॉर्मेंस रही हैं।

2015 से तुलना की जाए तो 2015 में RJD ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 80 सीटें जीती थी। जबकि इस बार 2020 मे RJD ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ 75 सीटें जीत पाई।

यानी 80% सीटों पर जीत से सीधे 50% से भी कम पर आ गया जीत का रेशियो।

बात यही खत्म नहीं होती, RJD की जीती 75 सीटों में से 30 सीटें ऐसी है जहां चिराग पासवान की पार्टी ने RJD को जिताया हैं। चिराग पासवान की पार्टी को RJD की जीत के मार्जिन से 10 गुना तक ज्यादा वोट मिले हैं। इन तीस सीटों को हटा दें तो तेजस्वी यादव की पार्टी RJD को 144 में से केवल 45 सीटो पर अपने दम पर जीत मिली है। जी हां, 144 से में केवल 45 सीट।

क्या ये 44 सीटें जीतने का क्रेडिट तेजस्वी यादव जो दिया जा सकता हैं। जी नहीं, क्योंकि लालू यादव के बनाये मुस्लिम यादव वोट बैंक के हिसाब से तेजस्वी की जगह तेज प्रताप हो या मीसा भारती या कोई भी, बिहार में 45 से 50 सीटें तो RJD को मिलनी ही हैं।

आकंड़े सच बोलते हैं और मीडिया कितना भी झूठ फैलाये लेकिन आंकड़ो के अनुसार बिहार के चुनाव में तेजस्वी यादव शायद एक वोट भी अपनी पार्टी को एक्स्ट्रा नहीं दिलवा पाएं।

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