टाइम्स ऑफ़ इंडिया के पूर्व संपादक इंदर मल्होत्रा ने बीबीसी को बताया था ये वाकया

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के पूर्व संपादक इंदर मल्होत्रा ने कुछ साल पहले बीबीसी को एक दिलचस्प क़िस्सा सुनाया था, “श्यामा प्रसाद मुखर्जी नेहरू की पहली सरकार में मंत्री थे. जब नेहरू-लियाक़त पैक्ट हुआ तो उन्होंने और बंगाल के एक और मंत्री ने इस्तीफ़ा दे दिया. उसके बाद उन्होंने जनसंघ की नींव डाली.”

“आम चुनाव के तुरंत बाद दिल्ली के नगरपालिका चुनाव में कांग्रेस और जनसंघ में बहुत कड़ी टक्कर हो रही थी. इस माहौल में संसद में बोलते हुए श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाया कि वो चुनाव जीतने के लिए वाइन और मनी का इस्तेमाल कर रही है.”

इस आरोप का नेहरू ने काफ़ी विरोध किया. इस बारे में इंदर मल्होत्रा ने बताया था, “जवाहरलाल नेहरू समझे कि मुखर्जी ने वाइन और वुमेन कहा है. उन्होंने खड़े होकर इसका बहुत ज़ोर से विरोध किया.”

“मुखर्जी साहब ने कहा कि आप आधिकारिक रिकॉर्ड उठा कर देख लीजिए कि मैंने क्या कहा है. ज्यों ही नेहरू ने महसूस किया कि उन्होंने ग़लती कर दी. उन्होंने भरे सदन में खड़े होकर उनसे माफ़ी मांगी. तब मुखर्जी ने उनसे कहा कि माफ़ी मांगने की कोई ज़रूरत नहीं है. मैं बस यह कहना चाहता हूँ कि मैं ग़लतबयानी नहीं करूँगा.”

33 वर्ष की उम्र में बन गए थे उपकुलपति

कलकत्ता विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद 1926 में सीनेट के सदस्य बने. साल 1927 में उन्होंने बैरिस्टरी की परीक्षा पास की.

33 साल की उम्र में कलकत्ता यूनिवर्सिटी के कुलपति बने थे. चार साल के कार्यकाल के बाद वो कलकत्ता विधानसभा पहुंचे

एक देश मे दो निशान, दो विधान, दो प्रधान नहीं चलेंगे

डॉक्टर मुखर्जी अनुच्छेद 370 के मुखर विरोधी थे और चाहते थे कि कश्मीर पूरी तरह से भारत का हिस्सा बने और वहां अन्य राज्यों की तरह समान क़ानून लागू हो.

अनुच्छेद 370 के विरोध में उन्होंने आज़ाद भारत में आवाज़ उठाई थी. उनका कहना था कि “एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे.”

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