खबर हैं की आज सुबह, कांग्रेस के युवा नेता राहुल गाँधी फिर अपने चिर-परिचित अंदाज में क़तर एयरवेज के फ्लाइट से अपने ननिहाल इटली में नए साल की छुट्टी मनाने निकल चुके हैं. 

जो लोग राहुल गाँधी को फॉलो करते हैं उन्हें पता हैं की इलेक्शन के बीचोबीच हो, पार्लियामेंट का सेशन हो या हाल के किसान आन्दोलन, कांग्रेस के युवराज कभी भी छुट्टी मनाने के मूड में आ जाते हैं. कुछ ही दिन पहले इन्होने राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद को फार्म्स बिल को रद्द करने के लिए ज्ञापन भी सौंपा था. राहुल गाँधी पिछले 5 सालों में कई बहुत बार विदेशों का चक्कर लगा चुके हैं. इनका अधिकतर ट्रिप सीक्रेट होता हैं.

अगर आपको याद हो तो, महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव के ठीक पहले भी अपनी पार्टी कांग्रेस को बीच मझधार में छोड़कर राहुल गाँधी बैंकॉक के लिए रवाना हो गए थे. 

जब कांग्रेस अपने पुरे दमख़म के साथ GST और नोटबंदी का बिरोध कर रही थी, तब भी ये अपने “मेडिटेशनल ट्रिप” पर निकल गए थे. 

राहुल गाँधी अपने विदेशी ट्रिप के प्रति इतने सजग हैं की अपने पार्टी के CAA प्रोटेस्ट और झारखण्ड इलेक्शन को प्रियंका गाँधी के भरोसे छोड़कर साउथ कोरिया के ट्रिप पर चले गए थे.

राहुल गाँधी के फुल-टाइम टूरिस्ट होने का इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता हैं- राहुल गाँधी जब अमेठी के सांसद थे तब, पांच वर्षों में 16 मौकों पर विदेश यात्रा की थी जबकि अपने लोकसभा क्षेत्र अमेठी में सिर्फ 9 बार ही गए थे.

ऐसा नहीं हैं की राहुल गाँधी को लोगों के आलोचना सहने के बाद अपना ट्रिप रद्द नहीं किया हो, बिहार इलेक्शन में कांग्रेस के हार के बाद भी राहुल गाँधी जैसलमेर,राजस्थान में कैमल सफ़ारी का लुफ्त उठाना चाहते थे. पर अति-आलोचना के चलते इन्होने ये टूर रद्द कर दिया.

मेरी राय से राहुल जी की माताश्री सोनिया गाँधी को ‘जा सिमरन! जी ले अपनी जिंदगी’ के अंदाज में राहुल गाँधी जी को उनके पार्ट-टाइम जॉब, राजनीति से आज़ाद कर देना चाहिए. ताकि राहुल गाँधी अपना फुल-टाइम छुट्टियों और विदेशी ट्रिप पर फोकस कर सके.   

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