पालघर महाराष्ट्र में 16 अप्रैल की रात जूना अखाड़ा दो वृद्ध निरपराध साधुओं , कल्पवृक्षगिरी महाराज और सुशीलगिरि महाराज ,को क्रूर हिंसक भीड़ द्वारा पुलिस की मौजूदगी में मार डाला गया था | उनके ह्त्या के वीडियोज़ /क्लिपिंग आदि ने पूरे देश को झकझोर दिया था |

महाराष्ट्र की शिव सेना सरकार ने आनन् फानन में अपनी पुलिस को क्लीन चिट दे दी थी जबकि खुद गृह मंत्री महाराष्ट्र सरकार ने “अफवाह के कारण की गई ह्त्या ” कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया था | किन्तु संत साधुओं पर लगातार हो रहे हमले , उनकी ह्त्या आदि की ख़बरों से लोगों में पहले से भरा आक्रोश इस अपराध के बाद बाहर आ गया | लोगों ने पालघर के संतों को न्याय कब , पालघर की जांच सीबीआई से करवाई जाए आदि बहुत सी मांगें लगातार उठाई हैं और अब भी उठा रहे हैं |

ताज़ा जानकारी के अनुसार , महाराष्ट्र CID के लोक अभियोजक श्री अमृत अधिकारी ने बताया कि कल यानि बुधवार को इस हत्याकांड के 24 और आरोपियों (जिनमें दो नाबालिग हैं )को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है | अब तक दर्ज़ कुल तीन FIR में कुल 366 व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है | जिसमे से 128 (इन 24 मिला कर ) को अब तक पकड़ लिया गया है |

कुल 366 नामित आरोपियों में से दो नाबालिग सहित कुल 28 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में पहले ही जमानत दी जा चुकी है जबकि गिरफ्तार आरोपियों में से 62 की जमानत याचिका सत्र न्यायालय में लंबित है | जिस पर फैसला होना बाकी है |

अब अहम् सवाल ये बचता है कि स्थानीय पुलिस जो खुद कहीं न कहीं इस अपराध की भागीदार है , वो जब पिछले छः महीने में एक ही गाँव कस्बे से 208 आरोपियों को गिरफ्तार होने में असफल रही है तो फिर आरोपपत्र , गवाही ,जिरह , फैसला अपील , यानि मामला अधर और अन्धकार में ही जाएगा |

उन पुलिस कर्मचारियों पर की गई प्रशासनिक व आपराधिक कार्यवाही , उनकी गिरफ्तारी और सज़ा आदि पर सब तरफ चुप्पी |

सबके सामने पीट पीट कर मार डालने के स्पष्ट वीडियो के बावजूद भी आरोपियों के रूप में पूरी भीड़ को नामजद करना किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं ? यकीन मानिये , एक अपराधी अपराध साबित करके सज़ा दिलवाना कहीं आसान है दो सौ तीन सौ लोगों के विरूद्ध अपराध साबित करके उन्हें सज़ा दिलवाने के |

अगर इन अपराध के अपराधियों का समाज में खुलेआम घूमना , बेफिक्र और निडर होकर रहना देश समाज और कानून की आत्मा पर एक घाव नहीं है तो फिर क्या है ? सोच के देखिये कि , उन साधुओं के अपने ,परिवारजनों , बंधु बांधवों को कैसा लगता होगा जब वो , उस रात का मंज़र अपनी आँखों से देखते होंगे ??

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