जैसी उममीद थी वही हुआ . संसद में बोलते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अपने एक ही स्पष्ट वक्तव्य और पारदर्शी मंतव्य सके कांग्रेस , वाम समेत अन्य सभी विपक्षी दलों द्वारा पिछले कुछ वर्षों में बात बात पर प्रदर्शन /आंदोलन करने वालों का चरित्र और मंसूबे तार तार कर दिया .

प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान उनकी दृढ़ भाव-भंगिमा , स्पष्ट बातें और सबसे अधिक किसानों ,सिक्खों और समस्याओं सभी पर एक एक करके सब कुछ सीधा और सरलता से रखना -ठीक यही वो भाव , वो बातें , वो सच था जिसे आम भारतीय लोग इतने दिनों से अलग अलग तरह से कहते बोलते चले आ रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने सभी विपक्षियों द्वारा सिर्फ समस्या , परेशानी , कठिनाई का शोर शराबा मचाए रखने और समाधान , किसी विकलो आदि में रत्ती बाहर भी रूचि नहीं दिखाने की प्रवृत्ति को जग जाहिर करते हुए उनकी मंशा आज लोगों के सामने रख। दूसरी तरफ अपने इस तथाकथित आंदोलन में “मर जा मोदी , मर जा मोदी ” जैसे घिनौने नारे लगाने और लगवाने वाले उन भटके हुए सिक्खों , राजनीतिक उकसावे में आकर गणतंत्र दिवस और लालकिले तक को अपमानित करने वालों को भी पूरी सहिष्णुता दिखाए हुए न सिर्फ उन बातों को दरकिनार कर दिया।

बल्कि उन्हें और पूरी दुनिया को ये भी याद दिला कि भारत में सिक्ख हमेशा से गौरव , शौर्य , भाईचारा , वीरता और राष्ट्रीयता से ओत प्रोत रहे हैं। इसलिए उन्हें या उनकी कठिनाई को आधार बना कर उन्हें भ्रमित और गुमराह करके राष्ट्र और शासन के विरूद्ध खड़ा करने का षड्यंत्र किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने आज बात बात पर कभी चिट्टी पॉलिटिक्स कभी पुरस्कार वापसी और कभी धरना प्रदरसन और ऐसे ही एजेंडे चला कर अपनी दुकानदारी चलाने वाले परजीवियों को भी आइना दिखाते हुए इस नकारात्मक नज़रिये के साथ पलने वाले “आन्दोलनजीवी ” करार दिया।

असल में यही ‘परजीवी आंदोलनजीवी’ पिछले कुछ समय से देश के विरुद्ध , अपने जैसे ही कुछ बाहर वालों को रूपए पैसे का लालच देकर भारत के खिलाफ तरह तरह के षड्यंत्र रच रहे हैं। आज विश्व में भारत की बढ़ती साख से जलते भुनते देश के कुछ ऐसे ही परजीवी देश के अंदर सिर्फ द्वेष , असंतोष , झूठ , भ्रम , प्रोपेगैंडा फैलाने वाले द्रोहियों के पक्के साथी बनकर देश तोड़ने की जिस मुहिम में लगे हैं वो कभी भी सफल नहीं हो पाएगा , कभी भी नहीं।

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