आज बेशक भारत के , पूर्वाग्रह से ग्रस्त तथा विक्षिप्त से हो चुके विपक्ष और देश के कुछ मुट्ठीभर लोगों को , भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रति द्वेष कर नफरत हो , वे भले ही हर बात बेबात में प्रधानमंत्री का नाम तक लेकर अपशब्द कहते हों , आंदोलनों में भले ही उनको शाप दिया जाता हो , बददुआएँ दी जाती हों , मगर ये शायद पहली बार ही हुआ है जब , न्यायपालिका और माननीय न्यायमूर्तियों ने खुले कंठ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की न सिर्फ प्रशंसा की है बल्कि देश के लिए उनकी सोच कर किए जा रहे कार्यों के कारण उन्हें -एक नायक , एक आदर्श कहने बताने से भी नहीं चूके।
न्यायमूर्ति एम आर शाह , जो तब पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश थे , अपने एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह कहा था कि , मोदी जैसे जननायक , आज विश्व में बहुत ही कम देशों के पास ऐसा नेतृत्व है और मोदी जा देश के लिए नहीं बल्कि विश्व के लिए एक नायक और एक आदर्श सरीखे व्यक्ति हैं।
ऐसे ही एक दूसरे अवसर पर बोलते हुए जस्टिस शाह न फिर दोहराया की , मोदी दुनिया के लिए सबसे लोकप्रिय , सबसे मुखर और सबसे अधिक दूरदृष्टि रखने वाले नेता हैं। जस्टिस शाह के इस बयान के कारण वामपंथियों ने उन्हें भी निशाने पर लिया था , किन्तु शाह अपने विचारों में बिलकुल स्पष्ट थे और वे प्रधानमंत्री मोदी के साहसिक निर्णयों व उनके अमलीकरण को लेकर मोदी की प्रतिबद्धता के कारण अन्य सभी से उन्हें विशिष्ट मानते हैं।
सर्वोच्च न्यायायलय के चर्चित न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा जी ने भी प्रधानमंत्री मोदी के बारे में ऐसा ही कुछ कहा था जो उस समय विधिक हलकों में भी चर्चा और विमर्श का विषय बन गया था। ज्ञात हो कीन्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा द्वारा वादों के आवंटन में मनमानी किए जाने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों ने अरुण मिश्रा के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया था।
अभी हाल ही में केरल उच्च न्यायालय ने भी , एक वाद का निस्तारण करते हुए याचिकाकर्ता के माध्यम से पूरे देश को ये स्मरण कराया कि , प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के बहुमत लोगों द्वारा प्रचंड बहुमत से चुन कर प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए हैं और इसलिए देश के नागरिकों का ये कर्तव्य है कि उन्हें प्रधानमंत्री का आदर और सम्मान करना चाहिए। न्यायालय ने याचिकाकर्ता के ऊपर 1 लाख का जुर्माना भी ठोंका था।
अभी हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी अपने एक आदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना काल में आगे आकर न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया को जिस तरह से सहायता और सम्बल देने का काम किया गया वो अभूतपूर्व , प्रशंसनीय और अनुकरणीय है। माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा इतनी बड़ी जनसंख्या को मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध करवा के इतने बड़े टीकाकरण अभियान को आहूत किया जाना , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अदम्य साहस और निष्ठा का ही प्रतीक है।
ऐसे में , जब भारत में रह रहा एक वर्ग और उनकी आड़ में कुछ ओछे विपक्षी दल प्रधानमंत्री मोदी की न सिर्फ आलोचना करते हैं बल्कि उन्हें गाली देते हैं , कोसते हैं , बददुआ देते हैं तो सिर्फ अफसोस जाहिर करने के और क्या किया जा सकता है।
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