देश में महंगाई को लेकर जनता त्राहिमाम कर रही है  महंगाई के साथ-साथ बेरोजगारी की दोहरी मार करेला नीम चढ़ा की कहावत को सिद्ध कर रही है। एक किलो सरसों का तेल 200 रूपये और रिफाइंड 150 रूपये से ज्यादा दामों में बिक रहा है, तेल महंगा होने से अब पकौड़े के धंधे पर भी खतरा मंडराने लगा है…दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 में समाचार चैनल जी न्यूज़ को एक इंटरव्यू दिया था, इंटरव्यू में जब पत्रकार सुधीर चौधरी ने सरकार द्वारा किए गए रोजगार के अवसर पैदा करने के वादे के मामले पर सवाल किया तब पीएम मोदी ने पकौड़ा तलने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि अगर जी टीवी के बाहर कोई व्यक्ति पकौड़ा बेच रहा है तो क्या वह रोजगार होगा या नहीं?


प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान के बाद जहां एक तरफ बीजेपी ने इसे सृजनात्मक आईडिया बताया था तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष ने पकौड़ा तलने वाली सरकार कहकर मोदी की आलोचना की थी। ऐसे में अब जब सरसों का तेल ₹200 ,रिफाइंड ₹150 से ज्यादा दाम में बिक रहा है तब पकौड़े की खरीद भी महंगी हो जाएगी ऐसे में पकौड़े वाले का रोजगार भी कम होगा।


लोकतंत्र में शासन जनता के सहारे चलाया जाता है ऐसे में सरकार का यह कर्तव्य है कि वह जनता के हित और परेशानी का ध्यान रखें और ऐसे में बढ़ रही महंगाई पर लगाम लगाए ताकि अब नहीं महंगाई की मार वाला मोदी सरकार का नारा सार्थक हो सके।

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