क्या आपने कभी गौर किया है कि भारत की सबसे बढ़ी समस्या क्या है
शायद कुछ के विचार
बलात्कार
भ्रष्टाचार आदि होंगे
लेकिन नहीं हमारे देश की सबसे बढ़ी समस्या इसकी अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि है
जिससे प्रकृति भी हार मान चुकी है
नदियाँ मौसमी नाले बन चुके हैं जो कभी स्वच्छ और निरंतर बहती थीं
जंगल खत्म होने लगे हैं क्योंकि आबादी के लिहाज से रहने के लिए जगह चाहिये
पहाङ खत्म अथवा कम होने लगे हैं क्योंकि इनसे गिट्टी व सीमेंट बनता है
भारत में प्रतिवर्ष 2-2.5 करोङ जनसंख्या वृद्धि होती है
जोकि आस्ट्रेलिया अथवा कनाडा की कुल आबादी के बराबर है
इतने सारे लोगों को रोजगार व बुनियादी जरूरते उपलब्ध कराना दुनिया की किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं है बल्कि सारे देश मिलकर भी चाहें तो प्रतिवर्ष इतने लोगों को रोजगार नहीं दे सकते
नतीजा
भुखमरी
गरीबी
प्राकृतिक आपदाऐं
अपराध
किसी भी अपराध की अगर गहराई में आप जाऐंगे तो उसका अंत अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि ही निकलेगा
कुछ लोग चीन से तुलना करते हैं कि चीन की जनसंख्या भी तो भारत के बराबर है फिर उसने कैसे तरक्की की
तो उसका कारण सुनिये चीन क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत से तीन गुना बढ़ा है
इस तरह अनुपात से देखा जाऐ तो चीन की जनसंख्या भारत से एक तिहाई है
चीन में भारत से वृद्धों की संख्या दुगने से भी ज्यादा है
चीन के 1981 के शासक माओ ने अनियंत्रित जनसंख्या के दूरगामी घातक परिणाम पहले ही समझ लिये थे इसलिए उन्होंने चीन में प्रभावी एक बच्चा पाॅलिसी लागू कर दी
जिसमें प्रवधान था कि एक से अधिक बच्चे कयने पर आर्थिक नुकसान उठाना पङता था
2019 तक के 38 साल के समय में इसके परिणाम यह हुए की 2019 में जो युवा 18 साल का था उसका न तो कोई भाई था
न ही कोई बहन
न ही मौसी-मौसा
न ही बुआ-फूफा
न ही मामा-मामी
न ही चाचा-चाची
न ही ताऊ ताई
रिश्तेदारी के नाम पर उसके केवल माता पिता
दादा दादी व
नाना नानी ही रह गये थे
जब वह व्यवसाय करने की उम्र का हुआ
तो उसके पास तीन ऑप्शन थे
अगर ननिहाल पक्ष का व्यवसाय अच्छा है तो वह कर ले
अगर पिता का व्यवसाय अच्छा है तो वह कर ले
अथवा खुद का कोई नया व्यावसाय विचार में है तो वह कर ले
अगर वह दुर्भाग्यवश फेल भी हो गया तो उसके पास दो संपत्तियाँ थीं जिनक् भविष्य में वो अकेला वारिस होने वाला था
ननिहाल संपत्ति
पैतृक संपत्ति
इनमें से किसी एक को बेच कर वह पुनः अपना व्यवसाय कर सकता था
वह पूरे वर्ष भारत के नागरिक की अपेक्षा स्वतंत्र था क्योंकि कोई भी रिश्तेदार न होने की वजह से कोई शादी सामारोह में या गमी में जाने के लिए उसका समय व्यतीत हो
भारत में किसी भी आम आदमी के आमतौर पर साल में 20 दिन तो किसी न किसी शादी सामारोह व अन्य कई उपक्रम में जाने पर ही खर्च हो जाते हैं
मतलब चीन के नागरिक का पूरा समय उसके व्यवसाय की वृद्धि पर ही खर्च हुआ
और परिणाम सबके सामने है
चीन बहुत तेजी से विकसित हुआ
एक कठोर लेकिन उपयोगी कानून के कारण
जहाँ चीन में एक युवक पर तीन व्यवसाय के मार्ग थे
वहीं भारत के औसतन तीन या चार युवकों पर एक ही पैतृक कार्य था
क्योंकि यहाँ औसत 3 बच्चे तो थे ही ननिहाल का व्यवसाय तो छोङो पैतृक व्यवसाय को भी अधिक से अधिक पाने के लिए आपस में झगङते रहते थे
आज से 100 साल पहले तो एक एक के घर में 8-8 बच्चे होना मामूली बात थी
मानो उस समय किसी किसान पर 100 बीघा खेत था और उसके आठ बच्चे थे
तो अगली पीढी आने तक प्रत्येक बच्चे पर केवल 12.5 वीघा खेत रह गया था
अगली पीढी में आते आते यही खेत 5 बच्चों के हिसाब से 2.5 -2.5 वीघा ही रह गया था
मतलब तीन पीढी के बाद ही एक संपन्न किसान अपनी अज्ञानता व मूर्खता की वजह से ही एक गयीब किसान बन चुका था
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