पिछले दो दिनों से एक बार फिर से राहुल गाँधी के सार्जवनिक भाषणों में कही गई बेतुकी ,अनर्गल और सन्दर्भहीन बातों के छोटे छोटे वीडियोक्लिप , उन भाषणों का स्थानीय व्यक्तियों द्वारा किए जा रहे अनुवाद की कोशिश और उसमें आ रही कठिनाई से उत्पन्न हास्यास्पद स्थितियों आदि के सैकड़ों वीडियो सोशल नेट्वर्किंग साइट्स पर मनोरंजन परोस रहे हैं।
कांग्रेस में गाँधी ब्रांड के वर्तमान प्रतिनधि , बकौल कांग्रेस 54 वर्ष के उनके युवराज और उनके राजनैतिक ज्ञान के बारे में सिर्फ कुछ शब्दों में यदि कुछ कहना हो तो वो यही होगा कि , राहुल गाँधी के लिए किसी भी राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बुनियादी या नीतिगत किसी भी बिंदु समस्या पर कुछ कहना “आउट ऑफ़ सिलेबस ” जैसा है। हर विषय पर ताने मारने , प्रलाप करने और सोशल नेट्वर्किंग साइट्स पर हिंदी अंग्रेजी भाषा में लिखे कहे भरपूर गलतियों वाले कथनों से अधिक हास्यापद वे तब हो जाते हैं जब वीडियो के माध्यम से या सीधा लोगों के रूबरू होकर उनसे कुछ कहते हैं।
एक राष्ट्रीय पार्टी जिसने देश पर पचास से अधिक वर्षों से अधिक तक सत्ता चलाई आज उस पार्टी की हालत किसी भी क्षेत्रीय दल से भी कमज़ोर और प्रभावहीन होकर अस्तित्वहीन होने की कगार पर पहुंचाने का सारा श्रेय राहुल गाँधी की राजनैतिक अपरिपक्वता और बेतुके भड़काऊ बोल ही हैं।
सबसे कमाल की बात ये है कि खुद कांग्रेस के वरिष्ठ और बेहद अनुभवी राजनेता इस बात से असंतुष्ट होकर इस ओर इशारा कर चुके हैं लेकिन अपने मद में चूर राहुल गाँधी जब प्रेस वार्ता में खीज कर कह उठते हैं कि -कौन नड्डा , वे किसी नड्डा को नहीं जानते ” तभी उनकी राजनैतिक परिपक्वता और शिष्टाचार का प्रमाण मिल जाता है।
पिछले कुछ समय में राहुल गाँधी द्वारा सार्जवजनिक रूप से कहे गए कथनों , भाषणों , मिथ्या आरोपों के अंश अंतरजाल पर, लोग सिर्फ और सिर्फ हास्य विनोद के लिए ही देखे सुने जाते हैं। अक्सर चीन और पाकिस्तान की भाषा बोलने वाले राहुल गाँधी अपनी ही कही बातों के अर्थ से किस तरह अनजान रहते हैं ये देख समझ कर आम लोग श्रोता और दर्शक के रूप में उन्हें कभी भी गम्भीरतापूर्वक नहीं ले पाते। और जब किसी पार्टी का मुखिया उसका अगुआ ही पूरे सिलेबस से अनजान और अपरिचित सा व्यव्हार करे तो बाकी का तो कहना ही क्या ??
तो ट्विट्टर ,फेसबुक सब पर रोज़ रोज़ अपलोड किए जाने वाले वीडियो , क्लिपिंग आदि देख कर आप हम इस मनोरंजन चैनल को मुफ्त में सुबह शाम तक देख सुन सकते हैं। और किसी भी कांग्रेसी समर्थक से राहुल गाँधी की वो काबलियत जिसके कारण वो देश के प्रधानमंत्री के रूप में राहुल गाँधी को देख पाता है -बताने को कहें। अपने उत्तर और उसके समर्थन में उसके द्वारा दी गई दलीलें भी उतनी ही हास्यास्पद होंगी जितने खुद राहुल गाँधी हैं।
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