ऐसे तो कांग्रेस के राज में देश ने कई कारनामे देखे हैं लेकिन इन दिनों कांग्रेस शासित राजस्थान में एक ऐसा मामला आया है जिसने सबको चौंका दिया है . दरअसल RAS के इंटरव्यू में तीनों अभ्यर्थियों को एक समान नंबर मिले हैं, जिसने कई सवालों को जन्म दिया है. अब यह संयोग है सहयोग है या कुछ और, कहना मुश्किल है। अब आपको एक और दिलचस्प बात बताते हैं ये तीनों ही अभ्यर्थी राजस्थान प्रदेश कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष और गहलोत सरकार में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के रिश्तेदार हैं।

अब इस मामले को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. बीजेपी नेता सुरेंद्र सिंह शेखावत ने शिक्षा मंत्री पर RAS की परीक्षा में हेर-फेर करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा मांगा है. बीजेपी नेता का आरोप है कि गोविंद सिंह डोटसरा की पुत्रवधु प्रतिभा पुनिया, उनके भाई गौरव पुनिया और बहन प्रभा पुनिया, तीनों को RAS के परीक्षा में समान रूप से 80-80 फीसदी अंक मिलें हैं, वहीं लिखित परीक्षा में तीनों के प्राप्तांक 50 फीसदी से कम हैं. धांधली के आरोपों पर राजस्थान में बवाल देखने को मिल रहा है, बीजेपी शिक्षा मंत्री को लगातार घेर रही है. 

बीजेपी की ओर से जारी लिस्ट के मुताबिक पहले पेपर में गौरव को 48.75 फीसदी अंक मिले, वहीं दूसरे पेपर में 41.25 फीसदी अंक. थर्ड पेपर में 50 फीसदी अंक मिले हैं. चौथे में 49.75 फीसदी अंक. लिखित में कुल अंक 47.44 फीसदी हैं, वहीं इंटरव्यू में 80 फीसदी अंक मिले. संयोग की बात ये भी है कि शिक्षा मंत्री डोटासरा की पुत्रवधू प्रतिभा ने साल 2016 में आरएएस की परीक्षा पास की थी। आरएएस के इंटरव्यू में पुत्रवधू प्रतिभा को भी 80 फीसदी अंक मिले।


शिक्षा मंत्री राजनीति गलियारों और सोशल मीडिया पर सवालों के घेरे में हैं। सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि 2016 में बहू के भी इंटरव्यू में 80 फीसदी नंबर थे और अब पुत्रवधू के भाई-बहनों के भी इतने ही अंक हैं। आखिर कैसा संयोग है?

उधर गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि 300 से ज्यादा लोगों के नंबर 75 से 80 फीसदी के बीच है। उन्होंने कहा, ‘मेरी पुत्रवधू प्रतिभा से तो रिश्ता ही परीक्षा के बाद जुड़ा था।’ उन्होंने कहा कि अगर बच्चे टैलेंटेड हैं, तो फिर इसमें मेरा क्या दोष है? डोटासरा ने कहा कि राजस्थान प्रशासनिक सेवा प्रतिभा आधारित परीक्षा है। इसमें कोई घालमेल नहीं है। अंक मुद्दा नहीं होना चाहिए। यह सोशल मीडिया का प्रचार है, पारिवारिक संबंधों के कारण किसी को अंक नहीं मिलते हैं। 

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