“अंग्रेजों के आने से पहले भारत एक सुई भी नही बनाता था” आपको प्रायः ये कहने वाले लोग मिलते होंगे, ये मानसिकता एक दिन में नहीं आई “निरंतर बोला जाने वाला झूठ सच लगने लगता है” ये भी उन्ही लोगों का कुतर्क है, सच लगने में और सच होने में बहुत बड़ा अंतर होता है, भारत का सच आज न केवल दुनिया जानती है बल्कि, इन मक्कार इतिहासकारों के लिखे झूठे इतिहास के आभामंडल से अब भारत उसी प्रकार बाहर निकल रहा है जैसे बादलों के पीछे छुपा सूर्य प्रकट होता है। अंधेरा छंट रहा है और आज भारत 5G तकनीक से विश्व को चकाचौंध कर देने को अग्रसर है, आज भारत वो देश है जिसके लड़ाकू विमान अमेरिका जैसा विकसित देश खरीदने को लालायित हैं, अब भारत वो देश बन गया है जिसने चीन जैसे आक्रामक देश को उसकी औकात बता दी, आज का भारत वो देश है जिसकीं मिसाइल प्रणाली वहां से शुरू होती है जहाँ से बाकी देशों की मिसाइल प्रणालियां समाप्त होती हैं, आज भारत वो देश है जिसने पिता की तरह आगे आकर कोरोना जैसी महामारी में विश्व के सिर पर हाथ रखकर कहा कि चिंता न करो मैं हूँ।
आज भारत ने “वसुधैव कुटुम्बकम” की विचारधारा से पूरे विश्व का परिचय करवाया है। विश्व मे बढ़ती भारत की साख से न केवल आसुरी शक्तियां चिंतित हैं बल्कि देश मे बैठे वो लोग भी चिंतित हैं जिनके निरंतर बोले गए झूठ से पर्दा उठ गया है, अब वो किसी भी कीमत पर ऐसी बाधाएं उत्पन्न करना चाहते हैं जिस से देश की बढ़ती साख पर बट्टा लग सके, देश मे गृहयुद्ध जैसे हालात उत्पन्न हो और भारत विकास मार्ग से भटक जाए।
आप नक्सलियों का इतिहास उठा कर देखिये, शहरों में बैठे नक्सली आदिवासियों के नाम पर, किसानों के नाम पर, दलितों के नाम पर बड़े बड़े NGO बनाकर पैसे बनाते हैं पर उस पैसे का इस्तेमाल वो आदिवासियों, किसानों और दलितों के उत्थान पर कभी नही करते, उस पैसे से उनकी शराब, सिगरेट, अश्लील पार्टियों और विलासिता के साधनों का इंतज़ाम होता है, उल्टा ये लोग ये सुनिश्चित करते हैं कि जिनके नाम पर ये भीख मांगते हैं उन तक कोई मदद न पहुंचे इसी क्रम में सड़कों में माईन लगा के उड़ाना, स्कूलों को जलाना, विकास कार्यों को रोकना शामिल है, किसान आंदोलन के नाम पर कृषि कानूनों का विरोध भी उसी कड़ी का एक हिस्सा है, किसान के खाते में पैसे आएंगे और वो समृद्ध हो जाएगा तो ये लोग भीख किसके नाम पर मांगेंगे? आज इनके आंदोलन में कौन शामिल हैं आप उनको देखिये रिहाना वही है जिसने भारत को गरीब और संपेरों का देश कहा था और अम्बानी ने अपने बेटे की शादी में उसे रात भर नचा कर उसकी औकात दिखाई थी, मियां खलीफा वही है जिसने आतंकवादियों की धमकी से डर कर पोर्न इंडस्ट्री को अलविदा कहा वरना उसका सर कलम हो जाता, किसी सभ्य व्यक्ति ने भी इस आंदोलन में इन नकली किसानों का समर्थन किया? नहीं। वही देशविरोधी टुकड़े टुकड़े गैंग, वही शहरी नक्सली, वही नशेड़ी और जिहादी जमात जो इस देश को बर्बाद करना चाहती है वही लोग एकजुट होकर ये विरोध कर रहे हैं। ये विरोध भारत की कृषि में आने वाले परिवर्तन का है, ये विरोध भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करते और हमारे बच्चों को रोजगार देते स्वदेशी व्यापारियों का है, ये विरोध हमारे वैज्ञानिकों का है जिनका लोहा आज दुनिया मान रही है।
आज हम सबको अपनी सरकार के साथ खड़े होकर उसे और मजबूत करने का समय है, वो विरोध में हैं, तो हमें भी समर्थन में आना होगा, ये सरकार न दबेगी, न झुकेगी इसका हमे विश्वास है किंतु हमारा भी नैतिक कर्तव्य बनता है कि हम अपनी सरकार के साथ एकजुट होकर खड़े हो जायें।
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