जम्मू कश्मीर से सम्बंधित अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने के बाद से ही वहां के हालात सुधरने लगे हैं | केंद्र सरकार स्थानीय प्रशासन के सहयोग से वो तमाम नियम कानून विकल्प उपाय सबको लागू करने में लग गए हैं जिनके कारण कभी “धरती का स्वर्ग ” कहलाने वाला कश्मीर पाकिस्तानी और आतंकियों के कारण दोज़ख में बदल गया था |

रौशनी एक्ट :-

वर्ष 2001 में ,जम्मू कश्मीर की राज्य सरकार द्वारा , राज्य में हाइड्रोइलेक्ट्रो प्रोजेक्ट हेतु 25,000 करोड़ रूपए की राशि एकत्र करने के उद्देश्य से खाली पड़ी सरकारी जमीनों का आवंटन/हस्तांतरण स्थानीय निवासियों को रियायती दरों पर किए जाने के उद्देश्य से लागू की गई थी | इस कारण से इस कानून का नाम “रौशनी एक्ट “रखा गया |

लेकिन चिराग तले अँधेरा वाली कहावत को पूरी तरह चरितार्थ करते हुए इस कानून के तहत राज्य में भू माफिया और आम लोगों द्वारा सरकारी जमीन का अतिक्रमण कर कब्जा करने की प्रवृत्ति आम बात हो गई | इतना ही नहीं , राज्य के तमाम बड़े राजनेता , अपराधी से लेकर बड़े नौकरशाह जिनमे प्रशासनिक अधिकारी से लेकर सचिव तक के ओहदे के अधिकारी भी शामिल थे सबने , जिसको जहां मौक़ा लगा सरकार की जमीनों पर कब्जा कर लिया |

किन्तु इसकी आड़ में जो असली खेल चल रहा था वो असल में कुछ और ही था | कश्मीर में खली पड़ी सरकारी जमीनों पर अवैध अतिक्रमण व कब्जा करके उन पर सैकड़ों मस्जिदों मदरसों का निर्माण कर दिया गया | सुरक्षा बल और जांच एजेंसियों ने बताया कि आतंकी और चरमपंथी इन सब स्थलों का प्रयोग अपने ठिकाने और गतिविधियों के केंद्र के रूप में करते थे |

इस बात का अंदाज़ा कुछ तथ्यों से भी लगा सकते हैं |

कैग की रिपोर्ट के अनुसार रौशनी एक्ट के द्वारा जमीनों के हस्तांतरण की इस पूरी प्रक्रिया से अपेक्षित 25 ,000 करोड़ की राशि में से सरकार के पास आए कितने -मात्र 76 करोड़ रूपए |

जम्मू और कश्मीर दोनों स्थानों के लिए लाई गई इस योजना के लाभार्थियों में से 90 प्रतिशत से भी अधिक सिर्फ और सिर्फ कश्मीर से हैं जबकि जम्मू के निवासी इस योजना से बिल्कुल ही नगण्य रह गए |

इतना ही नहीं कृषि भूमि को मुफ्त में ही कश्मीरियों को बाँट देने का परिणाम ये हुआ कि इसका फायदा उठा कर सीमा पार से घुसपैठ की घटनाओं में भी बहुत वृद्धि हुई |

अब सरकार ने , जम्मू कश्मीर प्रशासन की वो सारी ज़मीन जो रौशनी एक्ट की आड़ में , वहां के लोगों द्वारा कब्जाई गई थी उसे पूरी तरह से निरस्त करके छः महीने के अंदर वो सारी जमीन सरकार द्वारा वापस लेने का फैसला किया है |

पहले से ही रूठी हुआ खाला जान मेहबूबा मुफ्ती के पास भी “रौशनी एक्ट ” के तहत हड़पी जमीन जायदाद को भी सरकार को वासप करने के मुद्दे पर मुंह फुला कर “व्हाय दिस कोलावेरी कोलावेरी डी ” करने का पूरा अवसर है |

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.