क्या आपको हमको पता है कि , देश की राजधानी दिल्ली में भी ऐसे होटल रेस्त्रां हैं जहाँ भारतीय परिधानों को पिछड़ा और सलीकेदार घोषित करके उन कपड़ों में इन सब पर प्रवेश में पाबंदी लगा रखी है। जी हाँ ठीक वैसे ही जैसे अंग्रेज लिख कर लगा देते थे -कुत्तों और भारतीयों का प्रवेश वर्जित है।

चलिए छोड़िए क्या आपको ये पता है कि , राजधानी दिल्ली के ही बहुत से निजी विद्यालयों में बच्चों को राजभाषा हिंदी में बात करने पर दण्डित किया जाता है। न सिर्फ भारी भरकम जुर्माना लगाया जाता है बल्कि अभिभावकों को बुला कर चेतावनी भी दी जाती है क्यूंकि हिंदी बोलने से स्कूल का स्टेटस , रूतबा ,अंग्रेजियत सब पर प्रभाव पड़ता है। कमाल है न ,और ये सब बदस्तूर चलता रहता है , चलता जाता है जब तक कि कोई अनीता चौधरी बाकायदा वीडियो बना कर ऐसे काले अंग्रेजों और उनकी मानसिकता को लोगों के सामने नहीं रखतीं।

राजधानी दिल्ली के एक रेस्त्रां में अनिता चौधरी नाम की महिला अपने परिवार के साथ भोजन करने जाती हैं मगर वहाँ पर (हनोलुलु या मंगल ग्रह से नियुक्त प्राणी ) तैनात कर्मचारी जिनमें एक युवती भी शामिल है बड़े ही रोषपूर्ण तरीके से अनीता जी को रोककर उन्हें समझाती है कि चूंकि जो कपडे उन्होंने पहने हुए हैं -यानि कि साड़ी – वो कतई आधुनिक परिधान नहीं है , है तो कम से कम उनके अंग्रेजियत वाले रेस्त्रां में तो नहीं ही।

अब जो युवती उन्हें समझा रही थी उस बेचारी को भी क्या पता कि जिस भारतीय परिधान -वो भी महिला परिधान , वो भी भारत में और उस परिधान में भी साड़ी – लाडो बिटिया , कभी अपनी मम्मी , दादी ,नानी , बुआ , चाची सबकी पुरानी नई फोटोज़ निकाल कर सामने बैठ जाना और फिर खुद ही सोचना कि आज बेल बॉटम और जींस कैप्री पहन कर जिस साड़ी को पिछड़ा ,पुराना , दकयानूसी घोषित कर रही हो न असल में बुनियाद वही है , सम्पूर्ण वही है ,पुरातन यही , संस्कार और संस्कृति भी यही है।

वैसे साड़ी के विषय में बोलने रोकने टोकने का पहला कर आखिरी हक़ सिर्फ और सिर्फ महिलाओं को ही है लेकिन बिटिया जी फिर भी कुछ बातें तो आप भी सुन ही लो। साड़ी – दुनिया भर में महिलाओं द्वारा पहने जा रहे परिधानों में सबसे खूबसूरत , कलात्मक , वैज्ञानिक और सर्वश्रेष्ठ मानी चुनी गई थी। आज भी विमान परिचारिकाएं जी खूबसूरती और वो तुम्हारे वाले स्मार्टनेस के लिहाज़ से सबसे अधिक होती हैं वे भी एयर इंडिया की साड़ी बालाएँ ही मानी जानी गई हैं।

चलो तुम तो सिर्फ रेस्त्रां चला रहे हो /रही हो लेकिन जो देश चला रही हैं और देश ही क्यों पूरे विश्व में भारत का विकास चक्र थामे हुए संचालित कर रही हैं -अरे ये क्या ??उन सबने भी -साड़ी ही। ओह ! ये तो सब पिछड़ी हुई निकलीं एक भी जींस , बेलबाटम , कैप्री ,टीशर्ट नहीं , बताओ भला

लो भला देश दुनिया तक तो ठीक है , ये तो मंगल ग्रह का अन्वेषण करने वाली और वैज्ञानिकों में भी अति विशिष्ट और प्रबुद्ध वैज्ञानिक ,माताओं /बहनों ने भी साड़ी ही पहनी हुई है और इसी साडी में भारतीयता का परचम लहरा रही हैं। लेकिन अब रेस्त्रां वालों ने कहा है तो जरूर कुछ सोच कर ही कहा होगा।

चलो साड़ी नहीं चलता तुम्हारे रेस्त्रां में , यही बात अब आयोग के सामने लिखित में बोल कह के दिखाना और कसम है तुम्हें तुम्हारे रेस्त्रां के नियमों की दीदी /भैया जी लोग -खुल के कहना कि आप ही लोग वो हो जिनका देश इंडिया है भारत नहीं जो इंडियन हैं मगर हिन्दुस्तानी नहीं। आप कैसे ही घूमो , कुछ भी पहनो , न भी पहनो ये आपकी मर्ज़ी है मगर उसकी आड़ में , उसकी ढाल लेकर , भारत में ही भारतीयता को नीचा दिखाने की कोशिश , मेरी माँ के आँचल साडी का उपहास करने की घृणित सोच से तुरंत बाहर निकल जाओ जी।

तो रेस्त्रां जी ,अब पुलिस और आयोग में जाते रहना अपने वो स्मार्ट कैजुअल्स पहन के ,अजी हाँ ।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.