प्लासी की लड़ाई 23 जून, 1757 को अंग्रेजों और बंगाल के तत्कालीन नवाब सिराजुद्दौला के बीच प्लासी नामक स्थान पर हुई थी। जिसमें रॉबर्ट क्लाइव की सहायता से ब्रिटिश सेना का नेतृत्व किया जाता है और मीर जाफर का उपयोग करके नवाब की नौसेना का नेतृत्व किया जाता है। प्लासी की लड़ाई के अंतिम परिणाम के रूप में, आधुनिक भारत ( Adhunik Bharat Ka Itihas )में ब्रिटिश ऊर्जा मजबूत हो गई, जिसने भारत की प्रकृति को ही बदल दिया और एक ब्रिटिश शासन का उदय हुआ, जिसने लगभग 2 सौ वर्षों तक भारत पर शासन किया।

प्लासी के युद्ध का कारण


(१) सिराजुद्दौला के खिलाफ अंग्रेजों की साजिश –

अंग्रेजों ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हटाने की साजिश इसलिए की क्योंकि अंग्रेज नवाब को अपने हाथों की कठपुतली बनाना चाहते थे। इसके लिए अंग्रेज नवाब को बंगाल का नवाब बनाने का लालच देकर उसके व्यापक मीर जाफर के साथ शामिल हो गए। अंग्रेजों ने पहले ही अमीचंद और जगत सेठ जैसे दरबारी रईसों को अपने कब्जे में ले लिया था। अंग्रेज बहुत होशियार थे, इसलिए उन्होंने उन अमीरों को ढूंढ लिया जो नवाब से चिढ़ गए थे और उनमें भी शामिल हो गए। इस उद्देश्य के लिए नवाब सिराजुद्दौला की नौसेना ने प्लासी के मैदान में पूरी निष्ठा के साथ युद्ध नहीं किया।
(2)अंग्रेजों और नवाब सिराजुद्दौला के बीच तनाव –
अंग्रेजों और सिराजुद्दौला के बीच संबंधों में तनाव होने लगा। इसके कई कारण रहे हैं, प्रमुख कारण यह है कि अंग्रेजों ने बंगाल के नवाब बनने के बाद सिराजुद्दौला को कोई उपहार नहीं भेजा, अंग्रेज नवाब के विद्रोहियों को उपयोगी संसाधन और आश्रय प्रदान करते थे, नवाब ने अंग्रेजों के विकल्प पर बहुत सख्त प्रतिबंध लगाए थे।
(३) अंग्रेजों द्वारा किलेबंदी करना –
इस समय अंग्रेजों और फ्रांसीसियों ने कलकत्ता और कासिम बाजार की किलेबंदी शुरू की। सिराजुद्दौला ने इसका विरोध किया। फ्रांसीसी नवाब के आदेश के लिए सहमत हो गए, लेकिन अंग्रेजों ने इस पर ध्यान दिए बिना किलेबंदी को जारी रखा, जिससे नवाब नाराज हो गए।
(4) कासिम बाजार और कलकत्ता पर अधिकार –
ब्रिटिश किलेबंदी का उपयोग करके क्रोधित होकर, नवाब ने अपनी सेना को कासिम बाजार और कलकत्ता भेजकर प्राप्त किया। कई अंग्रेज़ों को भी बंदी बना लिया गया।
(5 ) कालकोठरी घटना –
नवाब ने कई अंग्रेजों को एक तंग सेल में कैद कर लिया, जिससे कई अंग्रेजों की मौत हो गई। यह घटना इतिहास में ‘ब्लैक होल’ के नाम से प्रसिद्ध है।

प्लासी के युद्ध के परिणाम


प्लासी के युद्ध के बाद के परिणाम सामने आए
(१) ब्रिटिश युद्ध में विजयी हुए हैं और एक गोल चक्कर में भारत में ब्रिटिश ऊर्जा का ऊपर की ओर जोर दिया गया है
(२) मीर जाफर बंगाल का नया नवाब बना।
(३) भारत में फ्रांसीसियों की ऊर्जा बिल्कुल समाप्त हो गई।

प्लासी के युद्ध का महत्व


प्लासी के युद्ध का भारतीय अभिलेखों में ऐतिहासिक महत्व है। इस लड़ाई के कारण अंग्रेज भारत में अपना शासन स्थापित करने में सक्षम हुए हैं। प्लासी की पूर्ति और बंगाल की विजय बाद में अंग्रेजों की सहायता से उत्तर भारत पर विजय प्राप्त करने के प्रयासों में सफल रही। प्लासी ने अंग्रेजों की शक्ति और स्रोतों में काफी सुधार किया। अंतिम परिणाम के रूप में, कंपनी को बक्सर की लड़ाई के अंदर अवध के नवाब शुजा-उद-दौला और मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय को हराने में किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। यदि प्लासी का चयन अंग्रेजों के विरुद्ध हो जाता, तो उत्तर भारत में उनकी सत्ता की स्थापना पर प्रश्नचिह्न लग जाता।

हम जानते है, प्लासी का युद्ध 23 जून 1757  ‘प्लासी’ नामक स्थान पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना और बंगाल के नवाब की सेना के बिच हुआ था। यही  प्लासी का युद्ध वह युद्ध था जिसे जीतने के बाद अंग्रेजों ने भारत पर कब्ज़ा किया और अपना ग़ुलाम बनाया था |  जानिए ऐसे कौन से कारण थे ,जिसका फायदा उठाकर अंग्रेजों ने किया था 200 साल तक राज आगे पढ़े

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