सन 1948 , करमचंद गांधी हत्या ।
हत्या के आरोपी नाथूराम गोडसे जो कि विभाजन के बाद बहुत दुखी थे जगह जगह हिन्दुओं का नरसंहार हो रहा था उस वक्त गांधी जी की कार्यशैली से नाराज होकर हुतात्मा नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या कर दी जो गलत था और हम ब्राह्मण समाज इसका विरोध भी करते हैं।
पर बुरहान बानी जैसे आतंकी को भटका हुआ जवान बताना और गोडसे जो सिर्फ एक इंसान की हत्या करता है फिर वो भी भटके हुए जवान क्यों नहीं।
गोडसे को सजा हुई उन्हें फांसी की सजा मिली। उन्होंने अपनी बात अदालत में कही जो आज भी दर्ज है।
नाथूराम गोडसे महाराष्ट्र के ब्राह्मण परिवार से थे इसलिए गांधी हत्या के बाद गांधी जी के भक्तों ने महाराष्ट्र में ब्राह्मणों का नरसंहार किया कई हजार ब्राह्मण बिना किसी गुनाह के मारे गए ।
पूरे देश में ब्राह्मण समाज भयभीत था ।
कई मौके आए हैं जब कांग्रेस की भूमिका सवालों के घेरे में रही है जैसे इंदिरा गांधी का गौ रक्षकों पर गोली चला देना , इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिक्खों का नरसंहार।
कितने बेगुनाहों ने जान गवां दी। कांग्रेस ने ऐसा खौफ मचा दिया कि मजबूरन लोगों को कांग्रेस का साथ देना अपने जान की हिफाजत के समान महसूस होने लगा ।
कई चाटुकार बन गए, कई फिर से गुलामी में लग गए।

कुछ दिन पहले बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार में एक सिक्ख की पगड़ी निकाल कर बाल पकड़ के पीटने का मामला आया तो कैप्टन अमरिंदर सिंह को बहुत पीड़ा हुई थी जो खुद भी सिक्ख हैं पर मुख्यमंत्री पद के लोभ में कांग्रेस के साथ हैं। 1984 सिक्ख भाई नरसंहार में कांग्रेस की भूमिका जाग जाहिर है।

कश्मीर में लाखों ब्राह्मण पंडितों का नरसंहार , विस्थापन पर कांग्रेस पार्टी का रुख भी सकारात्मक नहीं था।
यह इतिहास है पर कांग्रेस और उनके गुलामों ने ऐसा नेरेटिव सेट किया कि आप मुगल को तो बुरे पक्ष से देखोगे तो साथ में अच्छे पक्ष को भी देखना होगा पर नाथूराम गोडसे की बात हो तो उसको आतंकवादी ही बोलना होगा।
जिन मुघलों ने लाखों दलित, हिन्दुओं की हत्या की वो तो हीरो हो गए उनके नाम के हजारों जगह बन गए।
कांग्रेस ने ऐसा नेरेटिव बनाने के लिए मीडिया से लेकर ब्यूरोक्रेसी तक अपने लोगों को लालच देकर अपने हिसाब से बातें कहलवाने के लिए लगा दिया।
कई वामपंथी इतिहासकार कहते हैं मुघलों ने दलित को नहीं मारा तो क्या एक राज्य में लाखो लाखों सैनिक क्या राजपूत ही थे । राजा जरूर क्षत्रिय थे पर एक राजा की हत्या के लिए लाखों सैनिकों की लाश से गुजरते थे।
लाखों , करोड़ों दलितों, सवर्णों, यादवों का खून बहाया है मुघलों ने । अगर 500 राजाओं की हत्या की है तो समझो 50 लाख हिन्दू, दलित,सवर्ण, यादव, आदिवासी की हत्या की है।

कांग्रेस ने ऐसा नेरेटिव सेट किया कि इतिहास में हुई एक घटना के बारे में तो आप जिक्र कर सकते हैं पर दूसरी घटना का जिक्र करना साम्प्रदायिक कहलाया जायेगा।
लोगों में आज भी इतना खौफ है की जानते हुए कि वीर सावरकर अंग्रेजों से लड़े उनको काला पानी जैसा कठोर दंड मिला और जो अंग्रेजों के चाटुकार थे वो अंग्रेजों के साथ सूट बूट पहनकर खाना खाते थे पर अफसोस वीर सावरकर गद्दार हो गए और अंग्रेजों के चमचे देशभक्त हो गए।
गोडसे कभी आरएसएस से जुडे़ इसलिए पूरा आरएसएस आतंकवादी संगठन हो गया पर यही कोई अन्य धर्म के संगठन से हो तो कहेंगे आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता।
हमें किसी धर्म के संगठन से विरोध नहीं है पर कांग्रेस के दोहरे चरित्र की बात हो रही है तो इन बिन्दुओं पर बात होगी।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का कितनी बार नार्को हुआ कितनी यातनाएं दी यही परमवीर सिंह जो अभी मुंबई पुलिस कमिश्नर हैं, कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर हिन्दू आतंकवाद गढ़ डाला कोई जुर्म साबित नहीं कर पाए पर आतंकवादी के लिए आंसू बहाना,अफजल गुरु की फांसी का विरोध करना राष्ट्रवाद है कांग्रेस के लिए सेकुलरिज्म है।
कांग्रेस के कुछ चाटुकार ब्राह्मण आपको इन सब बातों पर कठोर से कठोर शब्द तक बोल देंगे।
यही है असली राष्ट्रवाद का घोटाला।

जन जन की बात
अमित कुमार के साथ।

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