आपको अपना नायक किसी मायानगरी के ड्रग एडिक्ट अभिनेता में नहीं ढूंढना है, आपको अपना नायक बी.रामदास जैसे बहादुर जवानों में खोजना है। CRPF की कोबरा बटालियन में तैनात रामदास ने एक गश्त के दौरान नक्सल IED ब्लास्ट में अपने दोनों पैर गंवा दिए थे, मगर जज्बे और हौंसले की बुलंदी इतनी ताकतवर थी कि दोनों पैर कटने के बावजूद रामदास ने अपनी बटालियन फिर जॉइन की और देशसेवा का निर्णय लिया।


बी.रामदास चाहते तो CRPF से मेडिकल बजट लेकर और अपने तमाम फंड लेकर घर बैठते और आराम से अपनी सैलेरी लेते रहते मगर वतन के प्रति वफादारी ने उन्हें वापिस कृत्रिम पैर लगवाकर यूनिट में पहुंचा दिया। इलाज के दौरान कोबरा बटालियन के तमाम अफसर और रामदास के साथी उनका हौंसला बढाते रहे। घर में पत्नी ने भी साथ दिया और वर्दी पहनकर रामदास का हौंसला बढ़ाती रहीं। 


दोनों पैर गंवाने के बावजूद भी बी रामदास बालाघाट सीआरपीएफ मुख्यालय में आज भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं रामदास का कहना है कि आज वह बेशक दफ्तर का काम कर रहे हैं मगर कृत्रिम पैर लग जाने के बाद वह फिर से एक बार नक्सलियों से टक्कर लेने के लिए कोरबा के जंगलों में जाएंगे।


सही अर्थों में रामदास जैसे वीर सैनिक हमारे हीरो हैं, न कि ड्रग्स लेकर नकली एक्शन करने वाले तमाम मुम्बई के khan गैंग। सलूट कीजिये रामदास को, उनके हौंसले को, उनकी वर्दी को, उनके जज्बे को।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.