एक बात हर किसी के मन में है पर कहता कोई नही आज फिर से एक समाचार पत्र में पढ़ा एक लड़की के साथ दुष्कर्म किया पर शर्म किसे आनी चाहिए लड़की को । बदनामी किसकी होगी लड़की की अरे भई क्यों ? उसकी गलती क्या ये है की वो अकेले ऑफ़िस से आ /जा रही है ? या वो अपने पैरों पर खड़ी हो कर कंधे से कंधा मिला के चल रही है ?

कुछ कहते है उसने कपड़े ऐसे पहने होंगे वही घटिया सोच पर उस छोटी सी बच्ची के बारे में क्या कहेंगे जिसको कुछ दरिंदो ने नोच डाला और फिर मार डाला ! और वो लड़का घूम रहा है खुलेआम उसने तो जैसे आज फ़तह हासिल कर ली वो मर्द कहलायेगा वाह भई वाह उसे कोई कुछ नही बोलेंगे ,लड़की को ताना मारेंगे वो छुप के रहेगी समाज में उसने नाक जो कटा दी ,उसे तो ज़हर खा के या फाँसी लगा के मर जाना चाहिए क्यों सही कहा ना ? यही होता आ रहा है एक बात सोचने पर आपको मजबूर कर देगी की जब चोर जिस घर में चोरी करता है तो जिसके घर चोरी हुई उसकी गलती है क्या ?सोचो !

लड़की को दोष नही देना चाहिए । उस लड़के की परवरिश पर उँगली उठानी चाहिए उसे छुप कर रहना चाहिए ग़लत काम उसने किया है बलात्कारी वो है ।आज समाज की हर लड़की डर के क्यों जीये लड़के की मानसिक बीमारी का शिकार लड़की क्यों बने हर माँ -बाप को अपनी बेटियों को आत्मरक्षा करना सिखाना चाहिए । और लड़कों को बचपन से सिखाया जाए की लड़की की इज्जत बचाने से मर्द बनते है इज्जत लूटने से नही । और हर बेटी को आत्मरक्षा की शिक्षा देनी चाहिए

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