शाहीन बाग़ में जिन खवातीनों को शेरनी कह कह कर मुगलिया संतानें अपनी शेखी बघार रहे थे वो तो असल में कागज़ की बकरियां निकलीं | कागज़ भी कोई आम नहीं बल्कि हरे हरे नोट लेकर , पैसे , खाना , माईक , यहाँ तक की मीडिया के सामने बोलने कहने वाला पर्चा भी लिख लिख कर दिया गया था |

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों की जांच के बाद दाखिल आरोप पत्र में ये सनसनीखेज़ खुलासा किया है |इतना ही नहीं पुलिस ने बाकयदा , इस गहरी साजिश का भंडाफोड़ करते हुए बताया गया है की , दिसंबर 2019 में ,नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में असम से लेकर बंगाल और महाराष्ट्र तक में , किये कराए गए दंगों में इन मुगलियों की असली मंशा ज़ाहिर होने के बाद , शाहीन बाग़ और जामिया में डैमेज कंट्रोल करने के लिए इन्हें घर से बुला बुला कर सड़क और चौराहों पर बिठा दिया गया |

पुलिस ने खुलासा किया है कि ,शफी -उर-रहमान जो कि जामिया की कोऑर्डिनेशन समिति का सदस्य है , ने इसके लिए ये सारे नकद और बैंकों से पैसों का सारा इंतजामात किया था | इतना ही नहीं , ये और इसके साथियों ने इन्हें पोस्टर ,बैनर , रस्सी आदि की भी व्यवस्था की और इन बकरियों को नोटों की खाल ओढ़ा कर शेरनी बनाया |

सिर्फ जामिया के गेट नंबर 7 पर ही रोजाना , इस गैंग ने 5000 से लेकर 10000 तक पैसे खर्च किये | जिनमे बहुत सारा पैसा इन दिहाड़ी कागजी शेरनियों को दिया गया था | पुलिस ने आगे बताया की बहुत सही शातिराना तरीके से , दिल्ली में हुए दंगों में ,इन दोनों स्थानों को जानबूझ कर अनदेखा किया गया और विशेष समुदाय बाहुल्य क्षेत्र पूर्वी दिल्ली को दंगे फसाद के लिए चुना गया |

दिसंबर 2019 में देश भर में हुए दंगे फसाद में खराब हुई मुगालियों की छवि को ठीक करने के लिए ही खवातीनों को बुर्के से निकाल कर सड़क चौराहे पर पोस्टर ,बैनर ,पर्चे ,माईक देकर आगे कर दिया गया ताकि इस विरोध को महिलाओं का समर्थन मिलने और अधिक व्यापक होने का स्वरुप दिया जा सके | मगर कागज़ (नोटों ) की ये शेरनियां ,पानी के छींटे पड़ते ही फुस्स हो गईं |

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.