कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ देखकर क्या विपक्ष, क्या वामपंथी सभी के कलेजे पर मानो सांप लोट रहा है. जहां एक तरफ देश विदेश में फिल्म को जबरदस्त सफलता मिल रही है वहीं हमारे अपने देश में फिल्म को लेकर न सिर्फ गलत प्रोपेगेंडा फैलाया जा रहा है बल्कि इसकी सफलता कुछ लोगों को पच भी नहीं रही है, फिल्म के बारे में कहा जा रहा है कि ये बीजेपी की चाल है. ऐसे तो फिल्म का विरोध करने वाले भी बहुतेरे हैं लेकिन शिवसेना तो खुलेआम कश्मीरी पंडितों को भला-बुरा कह रही है. जाहिर है ये सब देखकर बालासाहेब ठाकरे जी जरुर कराह रहे होंगे.

इधर शिवसेना नेता संजय राउत पहले से ही फिल्म का विरोध कर रहे थे, लेकिन आज जो उन्होंने ट्वीट किया उसे लेकर ये कहा जा सकता है कि फिल्म के विरोध में  ये लोग इतने अंधे हो गये कि बाला साहेब ठाकरे का अपमान करने से भी बाज नहीं आए. संजय राउत ने अपने ट्वीट में लिखा है कि “फिल्म द कश्मीर फाइल्स को छोड़ दीजिए, हमने जब बाला साहब ठाकरे पर फिल्म बनाई थी तो उसे भी टैक्स फ्री नहीं किया था, फिर भी लोग देखने आए थे। बाला साहब ठाकरे ने कश्मीरी पंडितों के बच्चों के लिए मेडिकल और इंजीनियरिंग में महाराष्ट्र में एक कोटा भी रखा था”

इतना ही नहीं अपने दूसरे ट्वीट में संजय राउत ने कहा कि कश्मीरी पंडित शिवसेना को जानते हैं। द कश्मीर फाइल फिल्म कैसे बनी, क्यों बनी और इस फिल्म का एजेंडा क्या है वो सबको पता है। द कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर जो राजनीति हो रही है वो ठीक नहीं है.

दरअसल देश के कई राज्य द कश्मीर फाइल्स को पहले ही टैक्स फ्री कर चुके हैं, लेकिन महाराष्ट्र में फिल्म अभी तक टैक्स फ्री नहीं हुई है . इसी कड़ी में मंगलवार को बीजेपी के 92 विधायकों ने हस्ताक्षर कर के एक पत्र सीएम उद्धव ठाकरे को भेजा था. इस पत्र में द कश्मीर फाइल्स को टैक्स फ्री करने की मांग की गई थी. लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा में उप मुखयमंत्री अजित पवार ने इस मांग को ठुकरा दिया. अब इतने से ही महाराष्ट्र सरकार की मंशा समझी जा सकती है.

लेकिन दुख तो तब होता है जिस बालासाहेब ठाकरे का नाम लेकर आज की शिवसेना अपनी राजनीति चला रही है वे उनका नाम अपने स्वार्थ प्राप्ति के लिए इस्तेमाल करने से भी बाज नहीं आ रही है. आज की शिवसेना ने बालासाहेब के सिद्धांतों को दरकिनार करते हुए एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिला लिया , जो कभी बाला साहेब ठाकरे के निशाने पर रहते थे।

जाहिर है अगर आज बालासाहेब ठाकरे जी जीवित होते तो कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्म पर बनी फिल्म को दिखाने के लिए इतनी मश्क्कत नहीं करनी पड़ती. बालासाहेब ठाकरे जी ने जितना हिंदुओ के लिए किया उस सब पर उद्धव सरकार और शिवसेना ने पानी फेर दिया. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना अब कांग्रेस और एनसीपी की कठपुतली के समान हो गई है. जिसकी वजह से राज्य में हिंदू विरोधी गतिविधियां तेजी से बढ़ी है। तो वैसे में हम महाराष्ट्र सरकार से ये उम्मीद कैसे कर सकते हैं कि कश्मीरी हिंदुओं पर हुए जुल्म को वे अपने राज्य के लोगों को दिखाना चाहेगी .

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