भारत की ऋषि-परंपरा के सच्चे वाहक और वर्तमान सदी के जाज्वल्यमान नक्षत्र थे-स्व.श्री अशोक सिंघल जी। आध्यात्म और संतत्व की महानतम ऊँचाई को प्राप्त करने के बावजूद अहंकार उन्हें छू तक नहीं गया था। सरलता और सादगी की प्रतिमूर्ति थे-वे! उनसे कई बार मिलने का सौभाग्य मिला था। कार्यकर्ताओं के प्रति सहज लगाव व वात्सल्य था उनमें। ‘इदम न मम,इदम राष्ट्राय’ को सही अर्थों में जीते हुए अपना संपूर्ण जीवन उन्होंने राष्ट्र-यज्ञ में होम कर दिया। आसान नहीं होता, देश के शीर्षतम संस्थान से इंजीनियरिंग करने के बाद घर-द्वार छोड़ समाज और राष्ट्र की सेवा में सर्वास्वार्पण कर देना। वे मरे नहीं…सत्पुरुष मरा नहीं करते….मा.अशोक जी का पार्थिव शरीर भले ही हमें छोड़ गया हो, पर वे हमेशा जिंदा रहेंगे…हमारे विचारों में, आदर्शो में, जीवन-मूल्यों में, यादों में और आती-जाती साँसों में। लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए हमारे कदम- जब कभी लड़खड़ाएंगें, उनका ध्येयनिष्ठ जीवन हमें दिशा देगा, बल प्रदान करेगा। भारतीय संस्कृति में पुण्यतिथि मनाने की परिपाटी नहीं रही, पर उनकी पुण्य-स्मृति हमें सदैव प्रेरणा देगी। भावपूर्ण श्रद्धांजलि!!!!

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.