अगर कुछ कर नहीं सकते तो कम से कम अपना मुँह का म्यूट बटन तो दबा के रख ही सकते हो कि नहीं | उधर लड़का सुबह कह देता है 15 मिनट में मार के भगा देंगे ,फूफा जी बुढापे में दिन में सपना कर कहते हैं , आयेंगे मेरे भी पुराने दिन आएँगे | जब फूफा चीन और मामू पाकिस्तान दोनों घर घुस आयेंगे , वो 370 वाले दिन फिर लौट के आयेंगे ?
इस कोरोना की लॉक डाउन वाली कंडीशन ने बहुतों का वो साईड इफ्फेक्ट बाहर निकाल दिया जो वैसे शायद ही निकलता | 370 नहीं हट सकती वो आसमानी धारा है , हटने से दरिया में सुनामी उठ सकती है | कुछ नहीं ,कद्दू की फूं फां हमेशा की तरह |
इतना मारा है , इतना घसीटा है और इतना रगडा है इन जिहादियों को सेना ने कि एक साथ ही पूरे कबीले की बस्ती बन गई है कहीं ऊपर | पत्थरबाजी वाले करतब जो ये छपडी हर जुम्मे जुमे के दिखाया करते थे | सेना/ फ़ौज ने पैलेट से फिर सबको रिटर्न गिफ्ट भेजा |
लेकिन कसूर तो अब्दुल्ला का भी नहीं है जैसे शाहीन बाग़ की बकरियों का नहीं था , असल में कसूर कभी भी बकरी और अब्दुल्ला का नहीं होता है बाकि की पूरी दुनिया कायनात का है है ये गुनाह , बल्कि गुनाहे अजीम है ये तो | काफिरों का इस दुनिया में क्या काम ??
लेकिन पिछले दिनों अमेरिका भारत जैसे बड़े भैया जी लोगों से जुतियाये जाने के बाद अब हांगकांग और ताइवान तक जैसे छोटे भाईयों द्वारा भी बराबर सत्कार किये जाने को लेकर चीत्कार मार रहा है | कभी ओली के चक्कर में कभी इमरान के चक्कर में और अब अब्दुल्ला के चक्कर में सब उसे एक नंबर का नल्ला मान चुके हैं |
चीन ने अपने चमगादड़ों की कसम देते हुए चीन से बाहर और ,भारत अमेरिका जैसे देशों में अलग अलग वायरस के रूप में छुपे तमाम चीनी छाप कीट पतंगों को कहा है की ,
रहम करो , हमारे गर्दन तक मरोड़ के तोड़ दिए थे , तुम्हारे चक्कर में हम छोटे से और कितने छोटे होते चले जाए | सब अपना अपना संभालो | सवारी अपने सामान ,इज्जत ,सेहत सबकी जिम्मेवार खुद ही है | इसलिए अपनी अपनी तशरीफ़ और अपने अपने निशान (पैलेट के ) वाली नायाब योजना पर ही कायम रहो सब |
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