लो इतने दिनों तक हल्ला होता रहा मेला लगेगा तो ये वाला करतब होगा , ये वाला झूला आएगा , मदारी और बन्दर जाने क्या क्या , मगर ये कोरोना जो न कराए , मेला लगा और फुग्गे (बोले तो बैलून) वाली काकी आई , एक जोरदार फूँक ऐसी मारी कि बस बाकी सबकी हवा खुश्क हो गई। जी यही कुछ लब्बो लुआब रहा कांग्रेस कार्यसमिति की उस घनघोर उच्च स्तरीय बैठक का जो आजकल में साधी गई है।
सोनिया गाँधी ने दो बातें बिलकुल स्पष्ट कर दीं (मतलब अपनी तरफ से तो उन्होंने पढ़ दिया बाकी जनता की सिरदर्दी है ) एक कांग्रेसी नेताओं के जितने भी छोटे बड़े गुट और गैंग हैं और उनके लीडरान हैं उन्हें जो भी कहना है सीधा मुझसे कहें मीडिया में जाकर अपना मुंह चमकाने की कोशिश न करें -अलबत्ता ये अलग बात है कि खुद ये बात उनहोंने मीडिया के सामने ही कही।
दूसरी और जरूरी बात ये भी कि , यैस आई एम द लैण्ड लेडी ऑफ़ होली कांग्रेस -जैसा की सलमान खुर्शीद जी ने बटाया भी था -मदर ऑफ कांग्रेस -मैं ही हूँ वो -इटली का महासाम्राजय ठुकरा कर इस छोटे से कांग्रेस की साम्राज्ञी बनने की कुर्बानी देने वाली -एंटोनियो सोनिया गाँधी। मेरा वचन या पर्चा पठन , ये जो भी है , यही है मेरा शासन।
चिट्ठी पत्री गुट के जय और वीरू यानी गुलाम नबी जी और कपिल सिब्बल जी की तरह ऑंखें गुरेरते हुए उन्हें ये भी कायदे से समझाया गया है कि , अच्छा -एक तो तुम लोगों से अपनी अपनी स्टेट ही न संभल रही ठीक है , ऊपर से हर कोई हर किसी की पोल पट्टी सरे आम खोल रहा है। और सबसे बड़ी बात कि हाथरस से लेकर लखीमपुर तक ,सड़क पर लौटें हमारे लल्ला और लल्ली और बातें दुसरे करेंगे बड़ी बड़ी।
खबरदार , ठीक है अगला अध्यक्ष जो भी चुना जाएगा /जाएगी वो पांच साल के लिए ही चुना जाएगा और पक्का वाला होगा तब तक “कटप्पा को ही बाहुबली” माना जाए , जो मैं हूँ वही सब कुछ है। इतने में ही पीछे से सन्देश आता है ” पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तबियत में सुधार ” “कांग्रेस के अगले अध्यक्ष का चुनाव जल्द ” और मन ही मन राजमाता सोच रही होती हैं -जो भी हो मॉनिटर तो मेरा लल्ला ही बनेगा , चाहे जो भी हो , अजी हाँ
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