देश के खिलाफ काम करने वाले हर लिबरल-नक्सली का महिमामंडन जिस तरह से टुकड़े टुकड़े गैंग द्वारा किया जाता है, वो बतौर राष्ट्र भारत के लिए चिंताजनक है। ये देश उन लोगों के हाथों में खेल रहा है जो पालघर साधुओं की हत्या पर मौन रहते हैं। ये देश उन लोगो के हाथों में रहा है जो अजमल कसाब के लिए कोर्ट खुलवाते हैं, ये उन गद्दार दिमागों की सड़ी खिचड़ी को सहता रहा है जो कश्मीरी आतंकी बुरहान बानी को हेडमास्टर का बेटा बताते हैं।


भीमा कोरेगांव मामले में फादर स्टेन स्वामी को एनआईए ने हिरासत में लिया था फादर स्टेन स्वामी पर 2 साल पहले कोरेगांव में हुई हिंसा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या में साजिश रचने का आरोप लगा था उनके विरुद्ध भीमा कोरेगांव में एनआईए ने आतंकवाद निरोधक कानून की धाराएं भी लगाई थीं।


फादर स्टेन स्वामी मूल रूप से केरल के कैथोलिक पादरी है और वह आदिवासियों में काफी लंबे समय से सक्रिय थे। कहा जाता है कि फादर स्टेन स्वामी आदिवासियों के बीच धर्मांतरण का कार्य भी करते थे और वह नक्सलियों के कट्टर समर्थक थे। फादर स्टैन स्वामी की मित्रता देश के प्रबल कट्टर नक्सली समर्थकों के साथ थी और उनकी इसी सोच के कारण उन्हें देश के खिलाफ राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के तहत पकड़ा गया था।


पूरा लिबरल वामपंथी गैंग जिस तरीके से फादर स्टेन स्वामी की हृदयाघात से हुई मौत को लेकर महिमामंडित कर रहा है उसे देखते हुए साफ पता चलता है कि इन लोगों के भीतर देश की संप्रभुता एकता और गौरव के खिलाफ कितना जहर भरा हुआ है।

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