इन दिनों स्टैंड अप के नाम पर अपना सुतियापा फैलाए हुए नए नए भांडों को जिस तरह से सरे आम , थपड़िया लपड़िया के उनके कनपट्टी के नीचे सायं सायं बजाई जा रही है उसकी गूँज उन तालियों से जरूर ही बहुत ज्यादा और बहुत देर तक सुनाई और दिखाई भी देगी/ दे रही है |
हाल ही में सौरव घोष नाम के एक , ऐसे ही एक बयान बहादुर को शिव सैनिकों से जम के सूत दिया | ये लपूझन्ना एक छोटे से हॉल में ,चुनिंदा लोगों के सामने तालियां सुनंने के लिए वीर शिवाजी का नाम ले लेकर भौंडे तरीके से चुटकुले सुना रहा था | शिव सेना की युवा ब्रिगेड ने , क्रोधित होकर इसके ऊपर वो छपामारी की और साथ के साथ वीडियो भी बनाई कि उसके बाद ये महाशय सीधा दंडवत होकर अलग सुर में क्षमा याचना करने लगा|
ये पहला ऐसा मामला नहीं है जब अपनी फूहड़ कॉमेडी और भद्दे संवाद से लोगों को , विशेष कर हिन्दू मान्यताओं , हिन्दू देवी देवताओं , और हिन्दू प्रतीकों को विशेष रूप से निशाना बना कर अपना नाम और पैसा बनाने की कोशिश इन टटपूंजियों ने की हो | गौर करने वाली बात ये है कि , इन और इनके जैसे तमाम कॉमेडियनों , मिमिक्री आर्टिस्टों , कार्टूनिस्टों को सिर्फ सिर्फ हिन्दू धर्म और आस्था पर ही निशाना लगाना सबसे आसान लगता है |
याद हो कि , मुहम्मद साहब पर एक कार्टून बना कर अपने जान से हाथ धोने के अलावा कनाडा में उस कार्टून मात्र को छापने वाले तक को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी थी | फतवा जारी हो जाना , क़त्ल तक कर दिया जाना , ईश निंदा में कड़ी से कड़ी सज़ा देना सब , कई सालों से दुनिया देखती सुनती रही है
किन्तु इससे पहले ऐसा करके आसानी से बच निकलने वाले और ,अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में कुछ भी अलाय बलाय बकने वाले ऐसे तमाम बकैतों को अब देश की जनता खुद बिना कोई मौक़ा दिए तबियत से इनकी मिजाज पुरसी कर रही है | हाल ही में एक के बाद एक अब तक कुल सात कॉमेडियनों को उनकी इस हरकत और ऐसे सोच के लिए ठुकाई की दवाई से उनके भीतर का कोरोना बाहर निकाला जा चुका है |
ये हो सकता है कि सभ्य समाज में ऐसी बातों के लिए कोई जगह नहीं है की दुहाई देने वाले अपना अपना झोला झपटा उठा कर इनके पक्ष में भी चले आएं तो उनके लिए सिर्फ दो बातें समझनी जरूरी हैं |
पहली ये कि इन तमाम कॉमेडियनों से कहा जाए कि ऐसी ही हिम्मत वो अन्य प्रतीकों मान्यताओं आस्थाओं के प्रति भी जाहिर करके दिखाएं
दूसरी ये कि , जब सार्वजनिक रूप से आप शिवाजी , महाराणा प्रताप , आजाद , बोस जैसे सपूतों के बारे में इस तरह की ओछी बकवास करेंगे तो फिर सार्वजनिक रूप से ही उसकी शाबासी भी पाने को तैयार रहना चाहिए न
थोड़े में इतना भर समझ लेना चाहिए इन्हें की “एक की ठुकाई ,सबकी दवाई ” का सन्देश स्पष्ट दिया जा रहा है एकदम खुल्लम खुल्ला।कॉमेडी के द्विअर्थी संवादों की आड़ लेकर नहीं |
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