ये जो तुरंत सब कुछ भूल कर आगे बढ़ जाने की हमारी आदत पड़ी है या डलवा दी गई है उसका परिणाम ये हो गया है की अब हालत ये है कि मीडीया का कौवा जिस कान पर जाकर बैठ जाता है पूरे देश समाज सरकार में सिर्फ उसी का शोर और चीख सुनाई देती रहती है |

चैनल वाले भी सोच रहे होंगे , अरे छोड़ो बाकी सब भी जब इसी समाज में अपनी गंदगी विकार उड़ेल रहे हैं तो फिर मीडिया भी क्यूँ न इस थूकमफजीहत की TRP क्यूँ न बटोर ले | और इसके लिए इससे बेहतर समय और होगा भी क्या ?

सुशांत सिंह राजपूत की संदेहास्पद स्थितियों में मिली मृत देह की सूचना -? ये था वो प्रश्न जिसे हल किया जाना जरूरी था | धीरे धीरे ये भी पता चल रहा है कि ,क्यूँ जरूरी था ? एक हादसा /अपराध/घटना/दुर्घटना जो भी था ये , उसका सच जानने का अधिकार दुनिया में सबका है सबका |

ज़िन्दगी से लेकर मौत तक को नई पैकिंग और पॅकेज बनाने का धन्धानुमा व्यवसाय बनता जा रहा मीडिया हर बार की तरह इस बार फिर से अपने गिरते स्तर के अब तक सबसे निम्नतम स्तर पर पहुँच गया |

सुशांत की मृत्यु , एम्स के विसरा रिपोर्ट में क़त्ल नहीं किए जाने की आशंका वाली खबर और रिया चक्रवर्ती को मुम्बई उच्च न्यायालय द्वारा एक महीने जेल में रहने के बाद मिली जमानत को अपनी जीत बताने वाले तमाम लिब्रांडू पत्रकार और अब पूंछ में पूँछ जोड़कर , चले मुकदमा करने मुट्ठी भर चरसी फिल्मकार |

भैया जी आप लोगों को ये अपने अन्दर झाँक कर देखने का मौक़ा मिलने जैसा था , आगे सड़क पर ही आना चाह रहे हो तो कोई क्या कर सकता है भला ?

अब बात सुशांत सिंह राजपूत की मौत का सत्य तो बाकी कुछ भी सच झूठ अफवाह कहानी अफ़साना हो सकता है लेकिन सच सिर्फ इतना है कि इस नवयुवक अभिनेता और इससे जुड़े लोगों के बीच कुछ तो ऐसा घटा है जो छुपाया जा रहा है और उसे दबाने छुपाने के लिए शेर बकरी तक एक घाट पर इकट्ठा हो गए हैं |

इसलिए ये अब साधारण इंसान भी समझ रहा है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के सच को इन रात अलग अलग पर्दों से ढकने छिपाने की कोशिश की जा रही है ,मगर इस मौत को सिर्फ आत्महत्या भर कह कर पल्ला झाड़ लेना अब इतना आसान होगा नहीं |

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